بحث:جهاد: تفاوت میان نسخهها
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==فهرست پیشنهادی== | |||
{{فهرست اثر}} | |||
# معناشناسی: | |||
## معنای لغوی | |||
## معنای اصطلاحی | |||
## رابطه با واژگان همسو: | |||
## [[جنگ]] ([[حرب]] یا [[قتال]]) | |||
## [[دفاع]] | |||
# پیشینه: | |||
## جهاد در شرایع پیشین | |||
## جهاد در تاریخ اسلام | |||
# [[فلسفه جهاد]] ([[حکمت تشریع جهاد]]) | |||
# مراحل تشریع جهاد | |||
# [[فضیلت جهاد]] (اهمیت و جایگاه) | |||
# [[حکم تکلیفی]] جهاد | |||
# اقسام [[جهاد]]: | |||
## گونههای جهاد از جهت نوع [[دشمن]]: | |||
### [[جهاد با دشمن ظاهری]] ([[جهاد اصغر]]) | |||
### [[جهاد با دشمن باطنی]] ([[جهاد اکبر]]): | |||
#### [[جهاد با نفس]] | |||
#### [[جهاد با شیطان]] | |||
## اقسام جهاد از جهت نوع ابزار آن: | |||
### [[جهاد با جان]] | |||
### [[جهاد با مال]] | |||
### [[جهاد با زبان و قلم]] | |||
## گونههای جهاد از جهت ماهیت و [[هدف]] آن: | |||
### [[جهاد نظامی]]: | |||
#### [[جهاد ابتدایی]] | |||
#### [[جهاد دفاعی]] | |||
### [[جهاد سیاسی]] | |||
### [[جهاد اقتصادی]] | |||
### [[جهاد علمی]] و [[جهاد فرهنگی|فرهنگی]] | |||
## اقسام جهاد با توجه به جبهه مقابل: | |||
### [[جهاد با مشرکان]] | |||
### [[جهاد با کافران]] | |||
### [[جهاد با اهل کتاب]] | |||
### [[جهاد با منافقان]] | |||
### [[جهاد با باغیان]] | |||
# چگونگی جهاد: | |||
## آمادگی برای جنگ | |||
## عملیات جمعآوری اطلاعات | |||
## دعوت دشمن به اسلام | |||
## اولویت جنگ با دشمن نزدیک | |||
## رویارویی هنگام جنگ | |||
## رعایت آداب جنگ | |||
# آثار و [[برکات]] شرکت در جهاد | |||
# [[انگیزهها]] و اسباب شرکت در جهاد | |||
# موانع جهاد (شرایط ترک جهاد) | |||
# تخلف از جهاد (پیامدهای جهادگریزی) | |||
# [[احکام]] و [[آداب جهاد]]: | |||
## [[محرمات]] جهاد | |||
## [[آداب جهاد|آداب]] و [[اخلاق جهاد]]: | |||
### مستحبات جهاد | |||
### مکروهات جهاد | |||
### اخلاق جهاد | |||
## مباحات جهاد | |||
## جهاد در [[ماههای حرام]] | |||
## جهاد در [[حرم]] | |||
## احکام [[اسیر]] | |||
## احکام [[شهید]] | |||
## احکام [[غنیمت جنگی]] | |||
## احکام [[صلح]] | |||
## احکام [[مرزبانی]] | |||
# [[پیروزی و شکست در جهاد]] | |||
# [[حقوق مادی مجاهدان|حقوق مادی]] و [[حقوق معنوی مجاهدان|معنوی مجاهدان]] | |||
{{پایان فهرست اثر}} | |||
==الحياة ج۱۲== | ==الحياة ج۱۲== | ||
{{فهرست | {{فهرست اثر}} | ||
* فصل ۱۷- نقش جهاد (جنگهای عقیدتی) در تاریخ | * فصل ۱۷- نقش جهاد (جنگهای عقیدتی) در تاریخ | ||
* (۱) - اصول انسانی اسلام در جنگها | * (۱) - اصول انسانی اسلام در جنگها | ||
خط ۳۶: | خط ۱۰۲: | ||
* (۱) - جهاد زبانی و گفتاری | * (۱) - جهاد زبانی و گفتاری | ||
* (۲) - جهاد با قلم | * (۲) - جهاد با قلم | ||
{{پایان | {{پایان فهرست اثر}} | ||
==ح نبوی ج۶== | ==ح نبوی ج۶== | ||
{{فهرست | {{فهرست اثر}} | ||
* الباب السابع الجهاد | * الباب السابع الجهاد | ||
* الفصل الأول الحث على الجهاد | * الفصل الأول الحث على الجهاد | ||
خط ۸۴: | خط ۱۴۸: | ||
* ۵ / ۸ غزوة الفتح | * ۵ / ۸ غزوة الفتح | ||
* ۵ / ۹ غزوة حنين والطائف وأوطاس | * ۵ / ۹ غزوة حنين والطائف وأوطاس | ||
{{پایان | {{پایان فهرست اثر}} | ||
==الدليل التصنيفي== | ==الدليل التصنيفي== | ||
{{فهرست | {{فهرست اثر}} | ||
===اجمالي=== | ===اجمالي=== | ||
* ۵.الجهاد والتعبئة العسكرية | * ۵.الجهاد والتعبئة العسكرية | ||
خط ۴۲۰: | خط ۴۸۲: | ||
* ۱۱:۶:۵ النصر | * ۱۱:۶:۵ النصر | ||
* ۱۲:۶:۵ سجود الشكر لله تعالى | * ۱۲:۶:۵ سجود الشكر لله تعالى | ||
{{پایان | {{پایان فهرست اثر}} | ||
==مباحث مهم== | ==مباحث مهم== | ||
{{فهرست | {{فهرست اثر}} | ||
# [[فضیلت جهاد|فضیلت]] و [[جایگاه جهاد]] و [[دفاع]] | # [[فضیلت جهاد|فضیلت]] و [[جایگاه جهاد]] و [[دفاع]] | ||
# [[فلسفه جهاد]] | # [[فلسفه جهاد]] | ||
خط ۴۵۰: | خط ۵۱۰: | ||
# [[حقوق مادی مجاهدان|حقوق مادی]] و [[حقوق معنوی مجاهدان|معنوی مجاهدان]] | # [[حقوق مادی مجاهدان|حقوق مادی]] و [[حقوق معنوی مجاهدان|معنوی مجاهدان]] | ||
# [[عملیات جنگ]] و [[تکنیکهای نظامی و جاسوسی]] | # [[عملیات جنگ]] و [[تکنیکهای نظامی و جاسوسی]] | ||
{{پایان | {{پایان فهرست اثر}} | ||
==جستارهای وابسته== | ==جستارهای وابسته== | ||
{{فهرست | {{فهرست اثر}} | ||
# [[آب بستن در جهاد]] | # [[آب بستن در جهاد]] | ||
# [[آداب جهاد]] | # [[آداب جهاد]] | ||
خط ۶۱۰: | خط ۶۶۸: | ||
# [[کشتن حیوان در جهاد]] | # [[کشتن حیوان در جهاد]] | ||
# [[کفاره قتل مسلمان]] | # [[کفاره قتل مسلمان]] | ||
{{پایان | {{پایان فهرست اثر}} | ||
==فرهنگ موضوعی جهاد== | ==فرهنگ موضوعی جهاد== | ||
{{فهرست | {{فهرست اثر}} | ||
* پیشگفتار | * پیشگفتار | ||
* مقدمه | * مقدمه | ||
خط ۶۷۱: | خط ۷۲۷: | ||
* [[وجوب جهاد]] به عنوان یک [[تکلیف]]، [[علی]] رغم ناگوار شمردن آن | * [[وجوب جهاد]] به عنوان یک [[تکلیف]]، [[علی]] رغم ناگوار شمردن آن | ||
* [[فرمان]] به [[جهاد در راه خدا]] | * [[فرمان]] به [[جهاد در راه خدا]] | ||
* [[اعلان]] [[جنگ]] [[حضرت سلیمان]] به [[قوم | * [[اعلان]] [[جنگ]] [[حضرت سلیمان]] به [[قوم سبأ]] | ||
* [[لزوم]] حرکت و [[بسیج]] به سوی جبهههای [[نبرد]] | * [[لزوم]] حرکت و [[بسیج]] به سوی جبهههای [[نبرد]] | ||
* هشدار به [[سستی]] کنندگان در [[جهاد]] | * هشدار به [[سستی]] کنندگان در [[جهاد]] | ||
خط ۸۶۰: | خط ۹۱۶: | ||
* پیامد [[تخلف]]، [[محروم]] شدن از [[غنایم]] و شرکت در [[جهاد]] | * پیامد [[تخلف]]، [[محروم]] شدن از [[غنایم]] و شرکت در [[جهاد]] | ||
* [[دعوت]] به [[جهاد با مشرکان]]، [[آزمایش]] متخلفان پشیمان | * [[دعوت]] به [[جهاد با مشرکان]]، [[آزمایش]] متخلفان پشیمان | ||
* [[جنگ]] [[ | * [[جنگ]] [[بنیالمصطلق]] | ||
* [[تهدید]] [[منافقان]] به [[اخراج]] [[پیامبر]]{{صل}} از [[مدینه]] به هنگام بازگشت از [[جنگ]] [[ | * [[تهدید]] [[منافقان]] به [[اخراج]] [[پیامبر]]{{صل}} از [[مدینه]] به هنگام بازگشت از [[جنگ]] [[بنیالمصطلق]] | ||
* [[فتح مکه]] | * [[فتح مکه]] | ||
* [[وعده]] [[فتح مکه]] و ورود فوج فوج [[مردم]] به [[اسلام]] | * [[وعده]] [[فتح مکه]] و ورود فوج فوج [[مردم]] به [[اسلام]] | ||
خط ۸۷۱: | خط ۹۲۷: | ||
* [[فرمان]] [[بسیج عمومی]] برای [[جهاد]] در [[جبهه]] [[تبوک]] | * [[فرمان]] [[بسیج عمومی]] برای [[جهاد]] در [[جبهه]] [[تبوک]] | ||
* [[اعلان]] [[آمادگی]] [[مؤمنان]] برای [[جهاد]] | * [[اعلان]] [[آمادگی]] [[مؤمنان]] برای [[جهاد]] | ||
* [[اشتیاق]] بکّائین به حضور در [[جنگ]] | * [[اشتیاق]] بکّائین به حضور در [[جنگ]] علیرغم نداشتن امکانات | ||
* تضمین [[پیروزی]] [[پیامبر]]{{صل}} از جانب [[خداوند]] | * تضمین [[پیروزی]] [[پیامبر]]{{صل}} از جانب [[خداوند]] | ||
* شرایط سخت [[جنگ تبوک]] | * شرایط سخت [[جنگ تبوک]] | ||
خط ۸۸۹: | خط ۹۴۵: | ||
* [[پشیمانی]] سه تن از متخلفان [[جنگ تبوک]] و [[پذیرش توبه]] آنان | * [[پشیمانی]] سه تن از متخلفان [[جنگ تبوک]] و [[پذیرش توبه]] آنان | ||
* باز بودن [[راه]] [[توبه]] برای [[مؤمنان]] [[خطاکار]] و متخلّف از [[جنگ]] | * باز بودن [[راه]] [[توبه]] برای [[مؤمنان]] [[خطاکار]] و متخلّف از [[جنگ]] | ||
* [[سریّه]] [[ | * [[سریّه]] [[ذاتالسلاسل]] | ||
* [[سوگند]] به اسبان تیزرو در [[هجوم]] غافلگیرانه [[جنگ]] [[ | * [[سوگند]] به اسبان تیزرو در [[هجوم]] غافلگیرانه [[جنگ]] [[ذاتالسلاسل]] | ||
* [[سریّه]] عبداللَّه بن [[جحش]] | * [[سریّه]] عبداللَّه بن [[جحش]] | ||
* [[بازداشتن مردم از راه خدا]]، [[کفر]] ورزیدن و [[فتنه]]گری، گناهی بزرگتر از [[جنگ]] در [[ماههای حرام]] | * [[بازداشتن مردم از راه خدا]]، [[کفر]] ورزیدن و [[فتنه]]گری، گناهی بزرگتر از [[جنگ]] در [[ماههای حرام]] | ||
خط ۱٬۲۵۳: | خط ۱٬۳۰۹: | ||
* [[بصیرت سیاسی]] و [[آگاهی]] بالا | * [[بصیرت سیاسی]] و [[آگاهی]] بالا | ||
* [[پایداری]] در مواضع [[حق]] و [[سازش ناپذیری]] در برابر [[ظلم]] | * [[پایداری]] در مواضع [[حق]] و [[سازش ناپذیری]] در برابر [[ظلم]] | ||
* [[شجاعت]] | * [[شجاعت]] وصفناپذیر | ||
* [[مشتاق]] به [[هدایت]] [[انسانها]] | * [[مشتاق]] به [[هدایت]] [[انسانها]] | ||
* [[اعتماد]] و [[توکل]] بر [[خداوند]] | * [[اعتماد]] و [[توکل]] بر [[خداوند]] | ||
خط ۱٬۲۸۰: | خط ۱٬۳۳۶: | ||
* [[فرماندهی]] و [[مدیریت]] | * [[فرماندهی]] و [[مدیریت]] | ||
* [[لزوم]] و [[ضرورت]] [[فرماندهی]] | * [[لزوم]] و [[ضرورت]] [[فرماندهی]] | ||
* [[ | * [[شایستهسالاری]] در [[نصب]] [[فرماندهی]] | ||
* استفاده از [[فرماندهان]] نیرومند، با تجربه و خیراندیش در [[جنگ]] | * استفاده از [[فرماندهان]] نیرومند، با تجربه و خیراندیش در [[جنگ]] | ||
* ویژگیهای [[فرمانده]] مکتبی | * ویژگیهای [[فرمانده]] مکتبی | ||
خط ۱٬۲۹۰: | خط ۱٬۳۴۶: | ||
* با [[تقوا]]، کنترل کننده [[هوسها]] و پرهیزگر از پرخاشگری | * با [[تقوا]]، کنترل کننده [[هوسها]] و پرهیزگر از پرخاشگری | ||
* [[قاطع]] در سرکوبی [[شورشگران]] و حلّ بحرانها | * [[قاطع]] در سرکوبی [[شورشگران]] و حلّ بحرانها | ||
* [[مالک اشتر]]، [[اسوه]] [[فرماندهان]] ([[بنده | * [[مالک اشتر]]، [[اسوه]] [[فرماندهان]] ([[بنده خدا]]، هوشیار، [[شجاع]]، [[خیرخواه]]، [[مطیع]] | ||
* [[حفظ]] سلسه مراتب در [[فرماندهی]] | * [[حفظ]] سلسه مراتب در [[فرماندهی]] | ||
* [[وظایف]] و اختیارت | * [[وظایف]] و اختیارت | ||
خط ۱٬۴۲۶: | خط ۱٬۴۸۲: | ||
* [[نیایش]] [[امام علی]]{{ع}} در [[نبرد]] | * [[نیایش]] [[امام علی]]{{ع}} در [[نبرد]] | ||
* عوامل [[آرامش]] و تقویت [[روحیه]] در [[دعاهای امام سجاد]]{{ع}} | * عوامل [[آرامش]] و تقویت [[روحیه]] در [[دعاهای امام سجاد]]{{ع}} | ||
* | * [[سوارهنظام]] | ||
* [[سوگند]] به اسب [[مجاهدان]] | * [[سوگند]] به اسب [[مجاهدان]] | ||
* [[رزمندگان]] | * [[رزمندگان]] [[سوارهنظام]]، مورد [[عنایت ویژه]] [[خداوند]] | ||
* [[تجهیز]] سواره و پیاده [[نظام]] از سوی [[پیامبر]] هنگام رسیدن به [[دشمن]] | * [[تجهیز]] سواره و پیاده [[نظام]] از سوی [[پیامبر]] هنگام رسیدن به [[دشمن]] | ||
* [[پاداش]] تهیه و آماده داشتن مرکب برای [[جبهه]] | * [[پاداش]] تهیه و آماده داشتن مرکب برای [[جبهه]] | ||
خط ۱٬۴۹۰: | خط ۱٬۵۴۶: | ||
* [[شهادت]]، نتیجه [[معامله با خدا]] | * [[شهادت]]، نتیجه [[معامله با خدا]] | ||
* نشان دادن [[مقام]] و جایگاه [[شهیدان کربلا]] به آنان | * نشان دادن [[مقام]] و جایگاه [[شهیدان کربلا]] به آنان | ||
* [[شهید]] | * [[شهید اول]]ین کسی که وارد [[بهشت]] میشود | ||
* [[شهادت]] [[راه]] [[رسیدن به کمال]] | * [[شهادت]] [[راه]] [[رسیدن به کمال]] | ||
* [[پاداش شهید]] تا [[داوری]] بین [[بهشت و جهنم]] | * [[پاداش شهید]] تا [[داوری]] بین [[بهشت و جهنم]] | ||
خط ۱٬۵۴۶: | خط ۱٬۶۰۲: | ||
* اطلاعات و [[حفاظت]] | * اطلاعات و [[حفاظت]] | ||
* تأکید [[امام علی]]{{ع}} بر اعزام عناصر اطلاعاتی [[جهت]] کسب خبر | * تأکید [[امام علی]]{{ع}} بر اعزام عناصر اطلاعاتی [[جهت]] کسب خبر | ||
* [[فرمان]] [[امیر مؤمنان]]{{ع}} به [[مالک اشتر]] در مورد | * [[فرمان]] [[امیر مؤمنان]]{{ع}} به [[مالک اشتر]] در مورد جمعآوری اطلاعات | ||
* [[اقدام]] [[امیر مؤمنان]]{{ع}} بر جمعآوری [[اخبار]] از [[خوارج]] | * [[اقدام]] [[امیر مؤمنان]]{{ع}} بر جمعآوری [[اخبار]] از [[خوارج]] | ||
* [[شناسایی]] نقاط [[ضعف]] [[دشمن]] | * [[شناسایی]] نقاط [[ضعف]] [[دشمن]] | ||
خط ۱٬۵۶۰: | خط ۱٬۶۱۶: | ||
* عدم کارآیی کثرت نیرو و ساز و برگ نظامی [[دشمنان]] در مقابل [[حق]] و [[اهل]] [[ایمان]] | * عدم کارآیی کثرت نیرو و ساز و برگ نظامی [[دشمنان]] در مقابل [[حق]] و [[اهل]] [[ایمان]] | ||
* مرعوب و هراسناک بودن [[دشمنان]] از لحاظ [[روحی]] | * مرعوب و هراسناک بودن [[دشمنان]] از لحاظ [[روحی]] | ||
* [[اختلاف]] و پراکندگی دلها، | * [[اختلاف]] و پراکندگی دلها، علیرغم [[اتّحاد]] ظاهری | ||
* [[روحیات]] [[فرماندهان]] [[دشمن]] | * [[روحیات]] [[فرماندهان]] [[دشمن]] | ||
* توجّه به [[ضعف]] و [[قوّت]] [[روحیات]] [[فرماندهان]] [[دشمن]] | * توجّه به [[ضعف]] و [[قوّت]] [[روحیات]] [[فرماندهان]] [[دشمن]] | ||
خط ۱٬۶۷۹: | خط ۱٬۷۳۵: | ||
* [[وحدت]] [[فرماندهی]] | * [[وحدت]] [[فرماندهی]] | ||
* غافلگیری [[یهود]] [[بنی نضیر]] | * غافلگیری [[یهود]] [[بنی نضیر]] | ||
* [[هجوم]] غافلگیرانه در [[جنگ]] [[ | * [[هجوم]] غافلگیرانه در [[جنگ]] [[ذاتالسلاسل]] توسط [[علی]]{{ع}} | ||
* تعقیب غافلگیرانه [[دشمن]] در حمراء الاسد | * تعقیب غافلگیرانه [[دشمن]] در حمراء الاسد | ||
* تمرکز قوا | * تمرکز قوا | ||
خط ۱٬۷۶۸: | خط ۱٬۸۲۴: | ||
* [[ارزش]] [[جهاد مالی]] در [[راه خدا]] | * [[ارزش]] [[جهاد مالی]] در [[راه خدا]] | ||
* [[جهاد مالی]] همسنگ [[جهاد جانی]] | * [[جهاد مالی]] همسنگ [[جهاد جانی]] | ||
* [[مالیات]]، پشتوانه هزینه [[سپاهیان | * [[مالیات]]، پشتوانه هزینه [[سپاهیان اسلام]] | ||
* [[جهاد با مال]] و [[جان]] از [[لوازم ایمان]] | * [[جهاد با مال]] و [[جان]] از [[لوازم ایمان]] | ||
* [[پاداش]] [[جهاد مالی]] | * [[پاداش]] [[جهاد مالی]] | ||
خط ۱٬۸۰۴: | خط ۱٬۸۶۰: | ||
* سهم [[مهاجر]] و [[انصار]] [[مدینه]] | * سهم [[مهاجر]] و [[انصار]] [[مدینه]] | ||
* سهم [[رزمندگان]] | * سهم [[رزمندگان]] | ||
* سهم | * سهم [[سوارهنظام]] و پیاده [[نظام]] از [[غنایم]] | ||
* اختصاص [[غنایم]] [[جنگی]] به [[رزمندگان]] حاضر در [[جبهه]] | * اختصاص [[غنایم]] [[جنگی]] به [[رزمندگان]] حاضر در [[جبهه]] | ||
* سهم [[لشکر]] الحاقی به [[رزمندگان]] از [[غنایم]] | * سهم [[لشکر]] الحاقی به [[رزمندگان]] از [[غنایم]] | ||
خط ۱٬۸۲۶: | خط ۱٬۸۸۲: | ||
* [[حکم]] سرزمینهای [[فتح]] شده در [[اختیار]] [[امام]] [[عادل]] | * [[حکم]] سرزمینهای [[فتح]] شده در [[اختیار]] [[امام]] [[عادل]] | ||
* منابع و مآخذ | * منابع و مآخذ | ||
{{پایان | {{پایان فهرست اثر}} | ||
==جهاد و نظام دفاعی در قرآن== | ==جهاد و نظام دفاعی در قرآن== | ||
{{فهرست | {{فهرست اثر}} | ||
* مقدمه | * مقدمه | ||
خط ۲٬۱۲۸: | خط ۲٬۱۸۲: | ||
* ۸. [[پارسایی]] در اسباب مادی | * ۸. [[پارسایی]] در اسباب مادی | ||
* ۹. [[استغاثه]] | * ۹. [[استغاثه]] | ||
* | * ه) [[وظایف]] [[مجاهدان]] | ||
* مقدمه | * مقدمه | ||
* [[مرزبانی]] از [[دین]] و مرزهای [[اسلامی]] | * [[مرزبانی]] از [[دین]] و مرزهای [[اسلامی]] | ||
خط ۲٬۵۱۷: | خط ۲٬۵۷۱: | ||
* ۱. [[غزوه بدر کبری]] | * ۱. [[غزوه بدر کبری]] | ||
* ۲. [[غزوه بنی قینقاع]] | * ۲. [[غزوه بنی قینقاع]] | ||
* ٣. [[غزوه غطفان]] (ذی آمر) | * ٣. [[غزوه غطفان]] ([[ذی آمر]]) | ||
* ۴. [[غزوه احد]] | * ۴. [[غزوه احد]] | ||
* ۵. [[غزوه]] | * ۵. [[غزوه حمراء الأسد]] | ||
* ۶. [[غزوه بنی نضیر]] | * ۶. [[غزوه بنی نضیر]] | ||
* ۷. [[غزوه ذات الرقاع]] | * ۷. [[غزوه ذات الرقاع]] | ||
خط ۲٬۵۲۷: | خط ۲٬۵۸۱: | ||
* ۱۱. [[غزوه حدیبیه]] | * ۱۱. [[غزوه حدیبیه]] | ||
* ۱۲. [[غزوه خیبر]] | * ۱۲. [[غزوه خیبر]] | ||
* ۱۳. [[غزوه | * ۱۳. [[غزوه فتح مکه]] | ||
* ۱۴. [[غزوه حنین]] | * ۱۴. [[غزوه حنین]] | ||
* ۱۵. [[غزوه تبوک]] | * ۱۵. [[غزوه تبوک]] | ||
* | * سریههای نقلشده در [[قرآن]] | ||
* ۱. | * ۱. [[سریه عبدالله بن جحش]] | ||
* ۲. | * ۲. [[سریه رجیع]] | ||
* ۳. | * ۳. [[سریه ذاتالسلاسل]] | ||
* غزوههای ذکر نشده در [[قرآن]] | * غزوههای ذکر نشده در [[قرآن]] | ||
* برخی سریههای ذکر نشده در [[قرآن]] | * برخی سریههای ذکر نشده در [[قرآن]] | ||
خط ۲٬۵۶۵: | خط ۲٬۶۱۹: | ||
* نمایه [[آیات]] | * نمایه [[آیات]] | ||
* نمایه [[روایات]] | * نمایه [[روایات]] | ||
{{پایان}} | {{پایان فهرست اثر}} | ||
{{ | ==مقدمه== | ||
'''جهاد''' در لغت به معنای تلاش و کوشش همراه با [[رنج]] و در اصطلاح [[دینی]] [[نبرد]] با [[دشمنان]] خداست. جهاد یکی از [[فرایض دینی]] و از [[فروع دین]] است و بر هر کس که [[عقل]] و [[بلوغ]] و [[توانایی جسمی]] داشته باشد، هنگام [[نیاز]] [[واجب]] است. جهاد، یا بر ضدّ [[کفّار]] و [[مشرکین]] است، یا بر ضدّ [[منافقین]] و متجاوزین داخلی. اولین [[حکم جهاد]]، در سال اوّل [[هجرت پیامبر به مدینه]] صادر شد. مسلمانانی که در جهاد بر ضدّ [[کافران]] شرکت میکردند "[[مجاهدان]]" نام داشتند. جهاد باید به [[فرمان]] پیشوای [[عادل]] باشد، هرگاه که [[دشمنان اسلام]]، بر ضدّ [[مسلمانان]] و [[کشور اسلامی]] [[هجوم]] آوردند، [[دفاع]] [[واجب]] است و این نوع از [[مبارزه]] "[[جهاد دفاعی]]" نام دارد. کشتهشدگان در جهاد "[[شهید]]" محسوب میشوند و جهاد و [[شهادت]] مایه [[عزّت]] و [[قدرت اسلام]] و [[مسلمانان]] است و امّتی که از جهاد [[دست]] بردارند، [[زبون]] و [[ذلیل]] میشوند. در [[آیات قرآن]] از این [[فریضه]] با نام "[[قتال]]" هم یاد شده است. [[جنگهای صدر اسلام]] نیز عمل به [[فرمان الهی]] جهاد با [[مشرکان]] و [[متجاوزان]] بوده است. [[جهاد با نفس]]، اصطلاح دیگری است که در مباحث [[اخلاقی]] و مقابله با [[تمایلات نفسانی]] و مهار خواستههای [[دل]] و [[شهوات]] است و [[پیامبر خدا]] از آن به عنوان "[[جهاد اکبر]]" یاد کرده است<ref>[[جواد محدثی|محدثی، جواد]]، [[فرهنگنامه دینی (کتاب)|فرهنگنامه دینی]]، ص۷۸.</ref>. | |||
==مقدمه== | |||
جهاد از بزرگترین [[فرایض الهی]] است که در [[قرآن کریم]] و [[روایات]] [[پیشوایان دین]] بسیار بدان تأکید شده است. طبیعی است آنگاه که [[امام]]{{ع}} متصدی امر [[حکومت]] میشود، [[مرزبانی]] از [[مرزهای جامعه اسلامی]] را بر عهده دارد، و آنگاه که [[صلاح]] بداند، برای [[گسترش اسلام]] به کشورهایی که [[حاکمان]] آنها مانع از رسیدن [[پیام اسلام]] میشوند، حمله میکند. براساس تقسیم رایج، جهاد به دو نوع [[جهاد دفاعی|دفاعی]] و [[جهاد ابتدایی|ابتدایی]] تقسیم میشود. اینک باید دانست که [[شأن]] و [[جایگاه امام]] در هریک از این دو نوع جهاد چیست؟ به نظر میرسد [[امام]]{{ع}} در [[جهاد دفاعی]]، جایگاهی ویژه ندارد؛ چراکه [[وجوب]] این جهاد به [[اذن امام]] نیست<ref>زین الدین بن علی عاملی (شهید ثانی)، مسالک الافهام، ج۳، ص۸؛ محمد حسن نجفی، جواهر الكلام، ج۲۱، ص۱۹</ref> و [[عقل آدمی]] نیز [[انسان]] را ملزم میکند تا در برابر [[هجوم]] [[دشمنان]] از خود [[دفاع]] کند. ضمن آنکه در [[روایات]] نیز از مشروط بودن [[مشروعیت]] [[جهاد دفاعی]] به [[اذن امام]] سخنی به میان نیامده است. | |||
درباره [[شأن امام]] در [[جهاد ابتدایی]] و اینکه آیا [[جهاد ابتدایی]] ([[جهاد عليه کافران]] و [[مشرکان]] برای [[دعوت به اسلام]]) مشروط به [[حضور معصوم]] یا [[نایب خاص]] اوست یا خیر، دو نظریه وجود دارد: | |||
#مشهور [[فقهای شیعه]] بر این باورند که [[جهاد ابتدایی]]، مشروط به [[حضور معصوم]] یا [[نایب خاص]] اوست؛<ref>برای نمونه، ر.ک: شیخ طوسی، النهاية، ص۲۹۰؛ محمد بن علی بن حمزه طوسی، الوسيلة، ص۱۹۹؛ جعفر بن حسن محقق حلى، نكت النهاية، ج۲، ص۵؛ همو، شرایع الاسلام، ج۱، ص۲۸۰؛ محمد بن منصور بن ادریس حلی، السرائر، ج۲، ص۳ و ۴. برای دیدن دیگر نظریات، ر.ک: محمد مؤمن قمی، کلمات سديدة فی مسائل جديدة، ص۳۲۳-۳۵۷.</ref> تا آنجا که صاحب جواهر ادعای [[اجماع]] کرده است؛<ref>محمد حسن نجفی، جواهر الكلام، ج۲۱، ص۱۱.</ref> | |||
#گروهی دیگر از [[فقها]]، بهویژه معاصران، بر این باورند که [[روایات]] مورد استناد مشهور، دلالت لازم را ندارند، و ازاینرو شرط [[حضور معصوم]] برای [[وجوب]] [[جهاد ابتدایی]] منتفی میشود.<ref>برای نمونه، ر.ک: سید ابوالقاسم موسوی خویی، منهاج الصالحین، ج۱، ص۳۶۶؛ جواد تبریزی، منهاج الصالحين، ج۱، ص۳۷۵؛ حسین وحید خراسانی، منهاج الصالحين، ج۲، ص۴۱۲؛ سید علی حسینی خامنهای، اجوبة الاستفتائات، ج۱، ص۱۸۷؛ حسین علی منتظری نجف آبادی، نظام الحكم فی الاسلام، ص۵۹؛ همو، دراسات فی ولاية الفقيه، ج۱، ص۱۲۰-۱۱۸.</ref> | |||
روشن است که برای یافتن [[حقیقت]] در این مسئله باید [[روایات معتبر]]<ref>به دلیل رعایت اختصار، از نقل روایاتی که به لحاظ سندی مخدوشاند، چشمپوشی کردهایم. برای دیدن مجموعه روایات، ر.ک: محمد بن حسن حر عاملی، وسائل الشيعة، ج۱۵، ص۴۴-۵۰. گفتنی است محقق معاصر، آیت الله خویی عمده دلیل کسانی را که به اعتبار اذن معصوم در مشروعیت جهاد قایلاند، تنها دو دلیل میداند که یکی از آنها به لحاظ سندی مخدوش است و دیگری به لحاظ دلالی سید ابوالقاسم موسوی خویی، منهاج الصالحين، ج۱، ص۳۶۵ و ۳۶۶).</ref> و مورد استناد بررسی شوند. با ملاحظه مجموع [[روایات]] به نظر میرسد برخی [[روایات]] بهطور مطلق [[مشروعیت]] جهاد را مشروط به حضور و [[اذن]] [[معصوم]]{{ع}} دانستهاند. در میان آنها یک [[روایت]] صحیح وجود دارد. براساس این [[روایت]]، از [[امام رضا]]{{ع}} درباره جهاد با سرزمین [[قزوین]] که هممرز با [[ممالک اسلامی]] بود و نیز جهاد با سرزمین [[دیلم]] که [[دشمن]] [[مسلمانان]] بود، پرسیده شد؛ [[امام]]{{ع}} بیآنکه پاسخی روشن به [[پرسش]] بدهند، فرمودند: "بر شما باد [[حج]] [[خانه خدا]]"<ref>{{متن حدیث|"عَلَيْكُمْ بِهَذَا الْبَيْتِ فَحُجُّوه"}}</ref>. آنگاه که برای بار دوم از ایشان پرسیده شد، [[امام]]{{ع}} با تکرار پاسخ پیشین فرمودند: {{متن حدیث|"أَ مَا يَرْضَى أَحَدُكُمْ أَنْ يَكُونَ فِي بَيْتِهِ يُنْفِقُ عَلَى عِيَالِهِ يَنْتَظِرُ أَمْرَنَا فَإِنْ أَدْرَكَهُ كَانَ كَمَنْ شَهِدَ مَعَ رَسُولِ اللَّهِ ص بَدْراً وَ إِنْ لَمْ يُدْرِكْهُ كَانَ كَمَنْ كَانَ مَعَ قَائِمِنَا فِي فُسْطَاطِهِ هَكَذَا{{ع}} هَكَذَا فِي فُسْطَاطِهِ"}}. [[امام]]{{ع}} نظریه عدم مشروعيت جهاد را [[تأیید]] کردند.<ref>محمد بن یعقوب کلینی، الکافی، ج۴، ص۲۶۰ و ج۵، ص۲۲ و ۲۳.</ref> | |||
دلالت این [[حدیث]] بر [[لزوم]] [[اذن امام]]{{ع}} اینگونه است که پرسشگر در عصر [[ائمه]] [[جور]] [[زندگی]] میکرده و [[پرسش]] وی، از جواز جهاد در چنین برههای از زمان است. اینکه [[امام]] بهطور مستقیم پاسخ نمیدهد، اشاره به عدم جواز جهاد در این وضع است. در ادامه نیز که این [[حکم]] را تا [[عصر ظهور]] [[امام مهدی|امام زمان]]{{ع}} [[استمرار]] میدهد، [[دلیل]] بر آن است که حتی اگر در عصر [[غیبت امام]]{{ع}}، [[حکومتی]] حقطلب با [[پیشوایی]] [[عادل]] نیز تشکیل شود، [[حکم]] یادشده پابرجاست. نتیجه آنکه [[جهاد ابتدایی]] بدون حضور و [[اذن]] [[معصوم]] نه تنها [[واجب]] نیست، بلکه [[حرام]] نیز هست.<ref>برای تفصیل بیشتر، ر.ک: محمد مؤمن قمی، کلمات سديدة فی مسائل جديدة، ص۳۴۰ و ۳۴۱.</ref> | |||
برخی دیگر از [[روایات]] نیز از عدم مشروطیت جواز جهاد به حضور و [[اذن]] [[معصوم]]{{ع}} خبر دادهاند. | |||
صریحترین [[روایت]] دراینباره [[موثقه]] سماعه است. سماعه از [[امام صادق]]{{ع}} [[نقل]] میکند که عَبّاد بصْری در مسیر [[مکه]]، [[امام سجاد]]{{ع}} را دید و به ایشان عرض کرد که شما [[سختی]] جهاد را رها کرده، به آسانی [[حج]] روی آوردهاید؛ در حالی که [[خداوند متعال]] میفرماید: {{متن قرآن|إِنَّ اللَّهَ اشْتَرَى مِنَ الْمُؤْمِنِينَ أَنفُسَهُمْ وَأَمْوَالَهُم بِأَنَّ لَهُمُ الْجَنَّةَ يُقَاتِلُونَ فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَيَقْتُلُونَ وَيُقْتَلُونَ وَعْدًا عَلَيْهِ حَقًّا فِي التَّوْرَاةِ وَالإِنجِيلِ وَالْقُرْآنِ...}}.<ref>توبه (۹)، ۱۱۱.</ref> [[امام]]{{ع}} فرمودند: [[آیه]] را تا آخر بخوان که فرمود: {{متن قرآن|التَّائِبُونَ الْعَابِدُونَ الْحَامِدُونَ السَّائِحُونَ الرَّاكِعُونَ السَّاجِدُونَ الآمِرُونَ بِالْمَعْرُوفِ وَالنَّاهُونَ عَنِ الْمُنكَرِ وَالْحَافِظُونَ لِحُدُودِ اللَّهِ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِينَ}}<ref>توبه (۹)، ۱۱۲.</ref> آنگاه فرمود: «اگر چنین کسانی را یافتیم، جهاد در رکاب آنها از [[حج]] [[برتر]] است».<ref>محمد بن یعقوب کلینی، الکافی، ج۵، ص۲۲؛ علی بن ابراهیم قمی، تفسير القمی، ج۱، ص۳۰۶؛ احمد بن علی طبرسی، الاحتجاج، ج۲، ص۳۱۵؛ محمد بن حسن حر عاملی، وسائل الشيعة، ج۱۵، ص۴۶.</ref> | |||
در نگاه نخست، ظاهر این [[حدیث]] بیان میکند که جهادگران باید متصف به اوصافی ویژه باشند. اما به نظر میرسد چنین شرطی برای جهاد وجود ندارد؛ زیرا ممکن است هیچگاه تمام جهادگران این اوصاف را نداشته باشند. بنابراین، مقصود [[امام]]، متصدیان امر جهاد است؛ بدین معنا که [[مشروعیت]] جهاد به آن است که متصدیان امر جهاد صفاتی خاص داشته باشند که همگی در عنوان [[مؤمن حقیقی]] جمعشدنی است. بنابراین حضور یا [[اذن امام]]، شرط [[مشروعیت]] جهاد نیست. | |||
در بررسی [[حدیث]] اول، میتوان گفت [[حکم]] صادرشده در این [[حدیث]] میتواند یک [[حکم]] موقت و مربوط به دوره زمانی خاصی باشد. [[شاهد]] این مدعا آن است که مسئله [[مرزبانی]] در سیاق جهاد آمده است و میدانیم که [[مرزبانی]] در هر حالتی و هر زمانی لازم است؛ پس روشن است که اگر نسبت به مسئله [[مرزبانی]] هم گفته میشود که باید [[معصوم]]{{ع}} حضور داشته باشد یا [[اذن]] بدهد، نشانگر این نکته است که بهطور موقت، [[مصلحت]] چنین اقتضایی داشته است. بنابراین، [[حدیث]] نخست به لحاظ دلالی نمیتواند متوقف بودن جواز [[دفاع]] بر حضور یا [[اذن]] [[معصوم]]{{ع}} را [[اثبات]] کند.<ref>سیدابوالقاسم موسوی خویی، منهاج الصالحين، ج۱، ص۳۶۵.</ref>. | |||
اما به نظر میرسد [[حدیث]] دوم به لحاظ دلالی تام بوده، براساس آن، [[جهاد ابتدایی]] متوقف بر [[اذن امام]] [[معصوم]]{{ع}} نیست؛ مگر آنکه گفته شود [[امام]]{{ع}} در این [[حدیث]] به دنبال پاسخ اصلی نیست؛ زیرا سؤالکننده به [[امامت]] و [[عصمت]] ایشان [[معتقد]] نبوده تا [[امام]] بخواهد بگوید که جهاد، مشروط به [[اذن امام]] [[معصوم]]{{ع}} است.<ref>برخی محققان این ایراد را پاسخ دادهاند. البته به نظر میرسد پاسخ دادهشده وافی به مقصود نیست (محمد مؤمن قمی، کلمات سديدة فی مسائل جديدة، ص۳۴۹ و ۳۵۰).</ref> در این صورت باز هم از طریق اصل [[برائت]] میتوان گفت [[جهاد ابتدایی]] مشروط به [[اذن]] [[معصوم]] نیست؛ زیرا عملاً دلیلی محکم بر [[وجوب]] آن اقامه نشده است، و دلیلی نیز بر [[تحریم]] [[جهاد ابتدایی]] بدون [[اذن امام]] نداریم؛ پس [[اباحه]] آن [[اثبات]] میشود.<ref>ر. ک. [[محمد حسین فاریاب|فاریاب، محمد حسین]]، [[بررسی انطباق شئون امامت در کلام امامیه بر قرآن و سنت (کتاب)|بررسی انطباق شئون امامت در کلام امامیه بر قرآن و سنت]]، ص۲۷۶ تا ۲۷۹.</ref>. | |||
==جهاد== | |||
به هر کوششی که برای [[بزرگداشت]] [[حق]] انجام گیرد، جهاد گویند<ref>جمعی از نویسندگان، دائره المعارف تشیع، ج۵، ص۵۳۲.</ref>. اگر این [[کوشش]] در قالب [[حرکت]] نظامی باشد، همان نبردهای [[دفاعی]] یا ابتدایی است که [[مسلمانان]] برای [[حفظ دین]] یا گسترش آن در [[پیروی از امام]] و [[رهبر]] خویش انجام میدهند. این واژه، اصطلاحی [[شرعی]] است که [[اسلام]] آن را برای پیکارها به کار برده و بار ارزشی آن آشکار است. پیش از اسلام، از دو واژه برای [[نبرد]] استفاده میکردند: [[غزوه]] و [[حرب]]. واژه شناسان، غزوه را به معنای [[طلب]] میدانند؛ چون نبردهای قبیلهها برای [[غارت]] و کسب روزی انجام میشد. واژه حرب، اعم از غزوه است و بیشتر درباره جنگهای بزرگ بین [[حکومتها]] به کار برده میشود. فرق دیگر این دو واژه، آن است که در غزوه، معمولاً حرکت [[سپاهیان]] و [[حمله]] آنان ناگهانی بود، ولی در حرب، دو [[حکومت]] از [[لشکرکشی]] یکدیگر [[آگاه]] میشدند. البته [[عربها]] واژههای دیگری نیز برای غزوه یا حرب به کار میبردند. برای نمونه، اگر غزوه شب رخ میداد، آن را «البیات» میگفتند. | |||
با توجه به آنچه گذشت، [[زیبایی]] واژه جهاد آشکار میشود. در [[آیهها]] و [[روایتها]]، بیشتر از این واژه استفاده شده است<ref>نک: سوره نساء، آیه ۷۵، ۹۵؛ سوره توبه، آیه ۱۲، ۲۴؛ سوره تحریم، آیه ۹؛ سوره محمد، آیه ۳۱؛ سوره انفال، آیه ۶۵؛ میزان الحکمه، ج۲، صص۸۳۳ - ۸۴۷.</ref>.<ref>[[مهدی غلامی|غلامی، مهدی]]، [[سیره و اخلاق نظامی پیامبر اعظم (کتاب)|سیره و اخلاق نظامی پیامبر اعظم]]، ص ۶۱.</ref> | |||
==پانویس== | |||
{{پانویس}} |
نسخهٔ کنونی تا ۴ نوامبر ۲۰۲۴، ساعت ۱۲:۵۲
فهرست پیشنهادی
- معناشناسی:
- پیشینه:
- جهاد در شرایع پیشین
- جهاد در تاریخ اسلام
- فلسفه جهاد (حکمت تشریع جهاد)
- مراحل تشریع جهاد
- فضیلت جهاد (اهمیت و جایگاه)
- حکم تکلیفی جهاد
- اقسام جهاد:
- چگونگی جهاد:
- آمادگی برای جنگ
- عملیات جمعآوری اطلاعات
- دعوت دشمن به اسلام
- اولویت جنگ با دشمن نزدیک
- رویارویی هنگام جنگ
- رعایت آداب جنگ
- آثار و برکات شرکت در جهاد
- انگیزهها و اسباب شرکت در جهاد
- موانع جهاد (شرایط ترک جهاد)
- تخلف از جهاد (پیامدهای جهادگریزی)
- احکام و آداب جهاد:
- محرمات جهاد
- آداب و اخلاق جهاد:
- مستحبات جهاد
- مکروهات جهاد
- اخلاق جهاد
- مباحات جهاد
- جهاد در ماههای حرام
- جهاد در حرم
- احکام اسیر
- احکام شهید
- احکام غنیمت جنگی
- احکام صلح
- احکام مرزبانی
- پیروزی و شکست در جهاد
- حقوق مادی و معنوی مجاهدان
الحياة ج۱۲
- فصل ۱۷- نقش جهاد (جنگهای عقیدتی) در تاریخ
- (۱) - اصول انسانی اسلام در جنگها
- (۲) ۔ اسلام، ضد قتل
- (۳) - نخست هدایت، سپس جنگ
- (۴)- پرهیز از ظلم در جنگها
- (۵)- پیمانداری و وفای به عهد با دشمنان
- (۶)- هشدار به جهادگران
- (۷) - پذیرش صلح
- (۸)- نجات مجروحان
- (۹)- منع نکردن از آب
- (۱۰) - پرهیز از تخریب منابع و محیط زیست
- (۱۱)۔ ممنوعیت حمله به مناطق مسکونی و غیر نظامیان
- (۱۲) - رعایت حریم حیوانات
- (۱۳) - حرمت اموال
- (۱۴) ممنوعیت جنگهای شیمیایی
- (۱۵)- پاسداری از حریم زنان
- (۱۶) - رعایت حریمها
- (۱۷) - حریم کودکان
- (۱۸) - منع از کشتار سالخوردگان
- (۱۹) - حقوق اسیران
- (۲۰) - تأمین پناهندگان
- (۲۱) - حریم معلولان و مجروحان
- (۲۲) - دوری از مُثله کردن
- (۲۳) - پرهیز از کشتار غیر نظامیان
- (۲۴) - منع از شبیخون
- فصل ۱۸- جهاد و آرمانهای الهی - انسانی
- أ- ضرورت جهاد
- ب - انگیزهها در جهاد اسلامی
- ج - جهاد برای حفظ اسلام و اصلاح جامعه و مبارزه با مفاسد
- د- جهاد با ظالمان (اقتصادی و سیاسی)
- ه - پیشبرد فکر با نیرو (پس از فرهنگ سازی)
- و - اقسام جهادهای دگرگونساز
- (۱) - جهاد زبانی و گفتاری
- (۲) - جهاد با قلم
ح نبوی ج۶
- الباب السابع الجهاد
- الفصل الأول الحث على الجهاد
- ۱ / ۱ فضل الجهاد والمجاهد
- ۱ / ۲ إعانة المجاهدين وذم إيذائهم
- ۱ / ۳ فضل الجهاد في البحر
- ۱ / ۴ ترك الجهاد
- الفصل الثاني الاستعداد للجهاد
- ۲ / ۱ أهمية السلاح
- ۲ / ۲ صنع الأسلحة
- ۲ / ۳ النهي عن بيع السلاح لأعداء الدين
- ۲ / ۴ فضل المرابطة
- ۲ / ۵ فضل الحراسة
- ۲ / ۶ فضل حمل السلاح في سبيل الله
- الفصل الثالث آداب الحرب
- ۳ / ۱ الحرب خدعة
- ۳ / ۲ الدعوة إلى الإسلام
- ۳ / ۳ الدعاء عند لقاء العدو
- ۳ / ۴ التجنب عن الفرار
- ۳ / ۵ الشعار
- الفصل الرابع الشهادة في سبيل الله
- ۴ / ۱ فضل الشهادة
- ۴ / ۲ حب الشهادة
- ۴ / ۳ الشوق للشهادة
- ۴ / ۴ الشهادة وتكفير الذنوب
- ۴ / ۵ عدم افتتان الشهيد في القبر
- ۴ / ۶ تمني الشهيد
- ۴ / ۷ ثواب طلب الشهادة
- ۴ / ۸ دور النية في الشهادة
- ۴ / ۹ من يحسب من الشهداء
- ۴ / ۱۰ أفضل الشهداء
- ۴ / ۱۱ ثواب الجريح في سبيل الله
- ۴ / ۱۲ شهداء أهل البيت
- الفصل الخامس غزوات النبي صلى الله عليه و آله
- ۵ / ۱ غزوة بدر الكبرى
- ۵ / ۲ غزوة احد وحمراء الأسد
- ۵ / ۳ غزوة ذات الرقاع
- ۵ / ۴ غزوة الأحزاب وبني قريظة
- ۵ / ۵ غزوة الحديبية
- ۵ / ۶ غزوة خيبر
- ۵ / ۷ غزوة مؤتة
- ۵ / ۸ غزوة الفتح
- ۵ / ۹ غزوة حنين والطائف وأوطاس
الدليل التصنيفي
اجمالي
- ۵.الجهاد والتعبئة العسكرية
- ۱:۵ فضل الجهاد وأسبابه وميادينه
- ۲:۵ التعبئة العسكرية والنفير
- ۳:۵ مباديء الحرب الأساسية وعوامل النصر
- ۴:۵ مراحل القتال
- ۵:۵ أخلاق القتال وآدابه
- ۶:۵ اثار القتال ونتائجه
تفصيلي
- ۱:۵ فضل الجهاد واسبابه وميادينه
- ۱:۱:۵ فضل الجهاد وثواب المجاهدين
- ۲:۱:۵ أسباب الجهاد وأهدافه
- ۳:۱:۵ أنواع الجهاد وميادينه
- ۲:۵ التعبئة العسكرية والنفير
- ۱:۲:۵ نظام الجندية
- ۲:۲:۵ الإعداد للقتال
- ۳:۲:۵ النفير
- ۳:۵ مباديء الحرب الاساسية وعوامل النصر
- ۱:۳:۵ الثبات
- ۲:۳:۵ الصبر
- ۳:۳:۵ السمع والطاعة
- ۴:۳:۵ القيادة والقدرة
- ۵:۳:۵ الدعاء والتضرع
- ۶:۳:۵ الشوري
- ۷:۳:۵ إشاعة الأمل
- ۸:۳:۵ إظهار الهيبة
- ۹:۳:۵ الإرهاب والرعب والردع
- ۱۰:۳:۵ صيانة المعنويات
- ۱۱:۳:۵ التحريض على القتال
- ۱۲:۳:۵ التعاون
- ۱۳:۳:۵ وحدة القيادة
- ۱۴:۳:۵ البساطة والوضوح
- ۱۵:۳:۵ إدامة المعنويات
- ۱۶:۳:۵ إدامة القصد
- ۱۷:۳:۵ استثمار الفوز
- ۱۸:۳:۵ الحشد
- ۱۹:۳:۵ الأمن والمكتومية
- ۲۰:۳:۵ العمل التعرضي (زمام المبادرة)
- ۲۱:۳:۵ التنظيم
- ۲۲:۳:۵ التخطيط
- ۲۳:۳:۵ الإدارة
- ۲۴:۳:۵ الاقتصاد في الجهد
- ۲۵:۳:۵ الخداع
- ۲۶:۳:۵ المرونة
- ۲۷:۳:۵ المبارزة والمناظرة
- ۲۸:۳:۵ المبادأة
- ۲۹:۳:۵ المفاجأة
- ۳۰:۳:۵ التوقيعات
- ۳۱:۳:۵ الإستطلاع وجمع المعلومات
- ۳۲:۳:۵ الإرادة وقوة التحمل وأثر الصوم فيهما
- ۳۳:۳:۵ اليقظة (و أثر قيام الليل فيها)
- ۴:۵ مراحل القتال
- ۱:۴:۵ الدفاع
- ۲:۴:۵ التقدم
- ۳:۴:۵ الهجوم
- ۴:۴:۵ الأنسحاب
- ۵:۵ أخلاق القتال وآدابه
- ۱:۵:۵ دعوة العدو إلى الإسلام
- ۲:۵:۵ دعوة العدو إلى الجزية
- ۳:۵:۵ منح العدو حرية الإعتقاد والعبادة
- ۴:۵:۵ الوفاء للمعاهد وعدم الغدر
- ۵:۵:۵ إكرام رسل العدو وتأمينهم
- ۶:۵:۵ إجارة من يجيره المسلم
- ۷:۵:۵ عدم قتل الشيوخ والنساء والأطفال
- ۸:۵:۵ عدم الإعتداء على المتعبدين في دور العبادة
- ۹:۵:۵ عدم التعرض لأماكن العبادة وعدم هدمها
- ۱۰:۵:۵ عدم التمثيل بالقتلي وغيرهم
- ۱۱:۵:۵ دفن قتلي العدو
- ۱۲:۵:۵ عدم الإعتداء على المزروعات في البلاد المفتوحة
- ۱۳:۵:۵ إسعاف جرحي المعركة بعد إنتهائها
- ۱۴:۵:۵ إحسان معاملة الأسري
- ۶:۵ آثار القتال ونتائجه
- ۱:۶:۵ دخول الإسلام (نشر الدعوة الإسلامية)
- ۲:۶:۵ المعاهدات
- ۳:۶:۵ الفيء
- ۴:۶:۵ الغنائم والأسلاب
- ۵:۶:۵ السبايا وأحكامها
- ۶:۶:۵ الأسري وأحكامهم
- ۷:۶:۵ الجزية
- ۸:۶:۵ الشهادة (انظر أحكام الشهيد)
- ۹:۶:۵ الإسعاف والجراحة والتطبيب والتأهيل
- ۱۰:۶:۵ معاملة غير المسلمين (انظر أهل الذمة)
- ۱۱:۶:۵ النصر
- ۱۲:۶:۵ سجود الشكر لله تعالى
- ۱:۵ فضل الجهاد واسبابه وميادينه
- ۱:۱:۵ فضل الجهاد وثواب المجاهدين
- ۱:۱:۱:۵ فضل الجهاد في سبيل الله ودرجته
- ۲:۱:۱:۵ فضل تجهيز المجاهدين
- ۳:۱:۱:۵ فضل من خلف غازيا في أهله
- ۴:۱:۱:۵ فضل المجاهد في سبيل الله وثوابه
- ۵:۱:۱:۵ نية المجاهد في سبيل الله
- ۶:۱:۱:۵ فضل الغدوة والروحة في سبيل الله
- ۷:۱:۱:۵ فضل الحراسة والسهر في سبيل الله
- ۸:۱:۱:۵ فضل غبار الجهاد وتغيير القدمين في سبيل الله
- ۹:۱:۱:۵ فضل الجهاد في البحر
- ۱۰:۱:۱:۵ دم ترك الجهاد وعقوبته
- ۲:۱:۵ أسباب الجهاد وأهدافه
- ۱:۲:۱:۵ تسهيل مهمة نشر الدعوة
- ۲:۲:۱:۵ تحرير الإنسان في الأرض
- ۳:۲:۱:۵ الدفاع عن عقيدة الأمة ونظامها
- ۴:۲:۱:۵ حماية أرواح المسلمين وأعراضهم
- ۵:۲:۱:۵ الدفاع عن الأراضي الإسلامية
- ۶:۲:۱:۵ الدفاع عن أموال المسلمين ومصالحهم
- ۷:۲:۱:۵ نصرة المظلومين
- ۳:۱:۵ أنواع الجهاد وميادينه
- ۱:۳:۱:۵ جهاد النفس (المجاهدة)
- ۲:۳:۱:۵ الجهاد بالكلمة والعلم
- ۳:۳:۱:۵ الجهاد بالمال
- ۴:۳:۱:۵ الجهاد العسكري (القتال)
- ۲:۵ التعبئة العسكرية والنفير
- ۱:۲:۵ نظام الجندية
- ۱:۱:۲:۵ التجنيد
- ۱:۱:۱:۲:۵ تجنيد الرجال
- ۲:۱:۱:۲:۵ اشتراك النساء
- ۳:۱:۱:۲:۵ سن التجنيد
- ۴:۱:۱:۲:۵ الإعفاء من الخدمة العسكرية (الإعذار)
- ۵:۱:۱:۲:۵ رواتب الجند وقيودهم
- ۶:۱:۱:۲:۵ تبديل الجند
- ۷:۱:۱:۲:۵ تأديب الجند ونظام العقوبات العسكري
- ۸:۱:۱:۲:۵ الإحتياط (الخدمة الأحتياطية ونظام الإستداعاء)
- ۲:۱:۲:۵ أنواع القوات العسكرية
- ۱:۲:۱:۲:۵ القوات البرية
- ۲:۲:۱:۲:۵ القوات البحرية
- ۳:۲:۱:۲:۵ القوات الجوية
- ۴:۲:۱:۲:۵ قوات التوجيه والدعوة
- ۳:۱:۲:۵ الإمداد والتموين
- ۱:۳:۱:۲:۵ التزويد والإدامة
- ۲:۳:۱:۲:۵ الإسعاف
- ۳:۳:۱:۲:۵ الإخلاء
- ۴:۳:۱:۲:۵ البريد والإتصلات
- ۵:۳:۱:۲:۵ النقل
- ۶:۳:۱:۲:۵ الأسلحة والمعدات الحربية (انظر الإعداد المادي)
- ۴:۱:۲:۵ الإشارات والرموز العسكرية
- ۱:۴:۱:۲:۵ اللباس العسكري
- ۲:۴:۱:۲:۵ الرتب العسكرية
- ۳:۴:۱:۲:۵ الأعلام والرايات والألوية
- ۴:۴:۱:۲:۵ الشعارات
- ۵:۴:۱:۲:۵ الرموز العسكرية وكلمة السر (الشيفرة)
- ۶:۴:۱:۲:۵ الأناشيد والطبول
- ۵:۱:۲:۵ القيادة العسكرية
- ۱:۵:۱:۲:۵ إعداد القيادة العسكرية
- ۲:۵:۱:۲:۵ صفات القائد العسكري ومؤهلاته
- ۱:۲:۵:۱:۲:۵ مؤهلات بدنية
- ۲:۲:۵:۱:۲:۵ مؤهلات كفاءة وخبرة ميدانية
- ۳:۲:۵:۱:۲:۵ مؤهلات إيمانية وخلقية
- ۵:۲:۲ الإعداد للقتال
- ۱:۲:۲:۵ الإعداد المادي
- ۱:۱:۲:۲:۵ ميزانية القتال
- ۲:۱:۲:۲:۵ الأسلحة واللوازم والتجهيزات
- ۳:۱:۲:۲:۵ التدريب واللياقة البدنية
- ۱:۳:۱:۲:۲:۵ الرمي
- ۲:۳:۱:۲:۲:۵ الفروسية وفن القتال
- ۳:۳:۱:۲:۲:۵ المبارزة
- ۴:۳:۱:۲:۲:۵ السباق
- ۵:۳:۱:۲:۲:۵ المصارعة
- ۶:۳:۱:۲:۲:۵ السباحة
- ۷:۳:۱:۲:۲:۵ إعداد القادة وتدريبهم
- ۲:۲:۲:۵ الإستخبارات العسكرية ونظام التجسس والعيون
- ۱:۲:۲:۲:۵ الإستخبارات الوقائية (الدفاعية)
- ۲:۲:۲:۲:۵ الإستخبارات الهجومية
- ۳:۲:۲:۵ الحرب النفسية والتعبئة المعنوية
- ۱:۳:۲:۲:۵ أقسام الحرب النفسية
- ۱:۱:۳:۲:۲:۵ التعبئة المعنوية وأهدافها
- ۲:۱:۳:۲:۲:۵ الحرب النفسية السوقية والأستراتيجية
- ۳:۱:۳:۲:۲:۵ الحرب النفسية الوقائية (الدفاعية)
- ۴:۱:۳:۲:۲:۵ الحرب النفسية الهجومية
- ۵:۱:۳:۲:۲:۵ الحرب النفسية التكتيكية (أثناء القتال)
- ۶:۱:۳:۲:۲:۵ الحرب النفسية التعزيزية (تثبيت الدعوة)
- ۲:۳:۲:۲:۵ أساليب الحرب النفسية
- ۱:۲:۳:۲:۲:۵ أسلوب الترغيب
- ۲:۲:۳:۲:۲:۵ أسلوب الترغيب
- ۳:۳:۲:۲:۵ وسائل الحرب النفسية
- ۱:۳:۳:۲:۲:۵ الكتب الرسمية والرسائل
- ۲:۳:۳:۲:۲:۵ المناظرات والحوار
- ۳:۳:۳:۲:۲:۵ الرايات والشعارات والرموز (انظر الإشارات والرموز العسكرية)
- ۴:۳:۳:۲:۲:۵ إظهار الهيبة وعرض القوي
- ۳:۲:۵ النفير
- ۱:۳:۲:۵ دواعي النفير (انظر أسباب الجهاد وأهدافه)
- ۲:۳:۲:۵ القرار بالنفير
- ۱:۲:۳:۲:۵ من يتخذ القرار بإعلان النفير
- ۲:۲:۳:۲:۵ الشوري واتخاذ القرار
- ۳:۲:۳:۲:۵ عوامل اتخاذ القرار
- ۱:۳:۲:۳:۲:۵ الدراسات السابقة للأرض ومصادر المعلومات
- ۲:۳:۲:۳:۲:۵ موقف قوات المسلمين النفسي والمادي
- ۳:۳:۲:۳:۲:۵ موقف قوات العدو النفسي والمادي
- ۱:۳:۲:۳:۲:۵ المهمة المطلوبة
- ۵:۳:۲:۳:۲:۵ المستجدات أثناء التنفيذ
- ۳:۳:۲:۵ أنواع النفير
- ۱:۳:۳:۲:۵ الإستنفار الدائم الجيش الشعب (الشعب الجيش)
- ۲:۳:۳:۲:۵ الإستنفار الشامل (التعبئة الشمولية)
- ۳:۳:۳:۲:۵ الإستنفار الجزئي (التعبئة الجزئية)
- ۴:۳:۲:۵ الأخبار بالفير
- ۱:۴:۳:۲:۵ الإخبار السري
- ۲:۴:۳:۲:۵ الإخبار العلني
- ۳:۵ مباديء الحرب الأساسية وعوامل النصر
- ۱:۳:۵ الثبات
- ۲:۳:۵ الصبر
- ۳:۳:۵ السمع والطاعة
- ۴:۳:۵ القيادة والقدرة
- ۵:۳:۵ الدعاء والتضرع
- ۶:۳:۵ الشوري
- ۷:۳:۵ إشاعة الأمل
- ۸:۳:۵ إظهار الهيبة
- ۹:۳:۵ الإرهاب والرعب والردع
- ۱۰:۳:۵ صيانة المعنويات
- ۱۱:۳:۵ التحريض على القتال
- ۱۲:۳:۵ التعاون
- ۱۳:۳:۵ وحدة القيادة
- ۱۴:۳:۵ البساطة والوضوح
- ۱۵:۳:۵ إدامة المعنويات
- ۱۶:۳:۵ إدامة القصد
- ۱۷:۳:۵ استثمار الفوز
- ۱۸:۳:۵ الحشد
- ۱۹:۳:۵ الأمن والمكتومية
- ۲۰:۳:۵ العمل التعرضي (زمام المبادرة)
- ۲۱:۳:۵ التنظيم
- ۲۲:۳:۵ التخطيط
- ۲۳:۳:۵ الإدارة
- ۲۴:۳:۵ الاقتصاد في الجهد
- ۲۵:۳:۵ الخداع
- ۲۶:۳:۵ المرونة
- ۲۷:۳:۵ المبارزة والمناظرة
- ۲۸:۳:۵ المبادأة
- ۲۹:۳:۵ المفاجأة
- ۳۰:۳:۵ التوقيتات
- ۳۱:۳:۵ الإستطلاع وجمع المعلومات
- ۳۲:۳:۵ الإدارة وقوة التحمل وأثر الصوم فيهما
- ۳۳:۳:۵ اليقظة (و أثر قيام الليل فيها)
- ۴:۵ مراحل القتال
- ۱:۴:۵ الدفاع
- ۱:۱:۴:۵ أهداف الدفاع (أنظر أسباب الجهاد وأهدافه)
- ۲:۱:۴:۵ أنواع الدفاع
- ۱:۲:۱:۴:۵ الدفاع عن الأرض الحيوية ومصادر الثروة
- ۲:۲:۱:۴:۵ الدفاع عن المواقع الإستراتيجية وعن الثغور
- ۳:۲:۱:۴:۵ الدفاع بالعمق
- ۴:۲:۱:۴:۵ الدفاع الدائري (لجميع الإتجاهات)
- ۵:۲:۱:۴:۵ الدفاع الإيجابي (دون تراجع)
- ۶:۲:۱:۴:۵ الدفاع السلبي (متحرف القتال)
- ۵:۲:۴ التقدم
- ۱:۲:۴:۵ مباديء التقدم (انظر مباديء الحرب الأساسية)
- ۴:۵:۲:۲ أغراض التقدم
- ۱:۲:۲:۴:۵ التقدم للتماس
- ۲:۲:۲:۴:۵ التقدم للمطاردة والملاحقة
- ۳:۲:۲:۴:۵ التقدم للإشتباك
- ۴:۲:۲:۴:۵ التقدم للإستطلاع
- ۵:۲:۲:۴:۵ التقدم للتمويه والخداع
- ۶:۲:۲:۴:۵ التقدم لاستثمار الفوز
- ۳:۴:۵ الهجوم
- ۱:۳:۴:۵ مباديء الهجوم (انظر مباديء الحرب الأساسية)
- ۲:۳:۴:۵ أهداف الهجوم
- ۱:۲:۳:۴:۵ إظهار الهيبة
- ۲:۲:۳:۴:۵ تدمير العدو
- ۳:۲:۳:۴:۵ الإستيلاء على الأرض
- ۴:۲:۳:۴:۵ حرمان العدو من مواقع هامة ومصادر
- ۴:۲:۳:۴:۵ استرداد الأرض المغتصبة
- ۵:۲:۳:۴:۵ تحرير الأسري
- ۴:۵:۷:۲:۳ الحصار وفك الحصار
- ۴:۵:۳:۳ أشكال الهجوم
- ۴:۵:۱:۳:۳ الهجوم المباشر (الجبهوي)
- ۲:۳:۳:۴:۵ الهجوم غير المباشر (الإلتفاف من الجوانب)
- ۳:۳:۳:۴:۵ الهجوم بالإختراق
- ۴:۳:۳:۴:۵ توقيت الهجوم
- ۵:۳:۳:۴:۵ الهجوم النهاري
- ۶:۳:۳:۴:۵ الهجوم الليلي
- ۳:۴:۳:۴:۵ الهجوم المبكر (مع أول ضوء الفجر)
- ۵:۳:۴:۵ أنواع الهجوم
- ۱:۵:۳:۴:۵ الهجوم المدبر (المخطط له والمبيت)
- ۲:۵:۳:۴:۵ الهجوم السريع
- ۳:۵:۳:۴:۵ الهجوم المباغت (انظر مباديء الحرب الأساسية)
- ۶:۳:۴:۵ مراحل الهجوم
- ۱:۶:۳:۴:۵ التحضير
- ۲:۶:۳:۴:۵ الإقتحام
- ۳:۶:۳:۴:۵ التطهير
- ۴:۶:۳:۴:۵ إعادة التنظيم
- ۴:۵:۷:۳ السرايا والدوريات
- ۱:۷:۳:۴:۵ أنواع الدوريات
- ۱:۱:۷:۳:۴:۵ الدوريات الكاشفة (الإستطلاع)
- ۲:۱:۷:۳:۴:۵ الدوريات المقاتلة
- ۳:۱:۷:۳:۴:۵ دوريات الإغارة
- ۴:۱:۷:۳:۴:۵ دوريات الكمين (التصنت)
- ۵:۱:۷:۳:۴:۵ الدوريات الحارسة (الثابتة)
- ۴:۵:۲:۷:۳ إجراءات عمل الدوريات والسرايا
- ۴:۵:۱:۲:۷:۳ الكشف
- ۲:۲:۷:۳:۴:۵ التحضير
- ۳:۲:۷:۳:۴:۵ التدريب
- ۴:۲:۷:۳:۴:۵ التنفيذ
- ۴:۴:۵ الإنسحاب
- ۱:۴:۴:۵ مباديء الإنسحاب (انظر مباديء الحرب الأساسية)
- ۵:۲:۴:۴ دواعي الإنسحاب ومبرراته
- ۵:۱:۲:۴:۴ تغيير المكان إلى أرض حيوية (متحرف القتال)
- ۲:۲:۴:۴:۵ نجدة القوات الأخري (متحيزا إلى فئة)
- ۳:۲:۴:۴:۵ التناسق مع القوات الأخري
- ۴:۲:۴:۴:۵ تجنب الهزيمة
- ۵:۲:۴:۴:۵ تقليل الخسائر
- ۶:۲:۴:۴:۵ استكمال الإستعداد
- ۷:۲:۴:۴:۵ استدراج العدو إلى موقع تقتيل
- ۳:۴:۴:۵ مراحل الإنسحاب
- ۱:۳:۴:۴:۵ مرحلة التخطيط والإعداد للإنسحاب
- ۲:۳:۴:۴:۵ مرحلة تنفيذ خطة الإنسحاب
- ۵:۴:۴:۴ أنواع الإنسحاب
- ۵:۱:۴:۴:۴ انسحاب هزيمة (غير منظم)
- ۲:۴:۴:۴:۵ انسحاب مدبر (منظم)
- ۵:۵ أخلاق القتال وآدابه
- ۱:۵:۵ دعوة العدو إلى الإسلام
- ۲:۵:۵ دعوة العدو إلى الجزية
- ۳:۵:۵ منح العدو حرية الإعتقاد والعبادة
- ۴:۵:۵ الوفاء للمعاهد وعدم الغدر
- ۵:۵:۵ إكرام رسل العدو وتأمينهم
- ۶:۵:۵ إجارة من يجيره المسلم
- ۷:۵:۵ عدم قتل الشيوخ والنساء والأطفال
- ۸:۵:۵ عدم الإعتداء على المتعبدين في دور العبادة
- ۹:۵:۵ عدم التعرض لأماكن العبادة وعدم هدمها
- ۱۰:۵:۵ عدم التمثيل بالقتلي وغيرهم
- ۱۱:۵:۵ دفن قتلي العدو
- ۵:۱۲:۵ عدم الإعتداء على المزروعات في البلاد المفتوحة
- ۱۳:۵:۵ إسعاف جرحي المعركة بعد انتهائها
- ۱۴:۵:۵ إحسان معاملة الأسري
- ۶:۵ آثار القتال ونتائجه
- ۱:۶:۵ دخول الإسلام (نشر الدعوة الرسلامية)
- ۲:۶:۵ المعاهدات
- ۳:۶:۵ الفيء
- ۴:۶:۵ الغنائم والأسلاب
- ۵:۶:۵ السبايا وأحكامها
- ۶:۶:۵ الأسري وأحكامها
- ۷:۶:۵ الجزية
- ۸:۶:۵ الشهادة (انظر أحكام الشهيد)
- ۹:۶:۵ الإسعاف والجراحة والتطيب والتأهيل
- ۱۰:۶:۵ معاملة غير المسلمين (انظر أهل الذمة)
- ۱۱:۶:۵ النصر
- ۱۲:۶:۵ سجود الشكر لله تعالى
مباحث مهم
- فضیلت و جایگاه جهاد و دفاع
- فلسفه جهاد
- وجوب دفاع و جهاد
- آثار و برکات جهاد و دفاع
- عواقب جهادگریزی و موانع جهاد
- لزوم صبر و پایداری در جنگ
- شرایط ترک جهاد
- جهاد در ادیان الهی
- غزوات پیامبر
- جنگ بدر و احد
- فتح مکه
- جنگهای امام علی
- جهاد با اهل کتاب و مشرکان
- منافقان و جهاد
- صلح
- جهاد و سنتهای الهی
- مرزبانی
- پیروزی و شکست در جهاد
- امدادهای غیبی در جنگ و جهاد
- جنگ در ماههای حرام
- فنون نظامی
- مدیریت جنگ
- حقوق مادی و معنوی مجاهدان
- عملیات جنگ و تکنیکهای نظامی و جاسوسی
جستارهای وابسته
- آب بستن در جهاد
- آداب جهاد
- آلات کشتار در جهاد
- آمادگی برای جهاد
- آیات جهاد
- اتلاف مرتد
- احکام جهاد
- اذن ابوین در جهاد
- اذن جهاد
- استعانت در جهاد
- استنجاد در جهاد
- استیجار بر جهاد
- اشتراط در جهاد
- اغتیال (کشتن به نیرنگ)
- امنیت راه جهاد
- انصراف از جهاد
- بیرق گرفتن
- تاخیر در جهاد
- تترُّس در جهاد
- تحکیم در جهاد
- تخلف از جهاد
- تربص در جهاد
- ترک جهاد
- تفضیل
- جعاله بر جهاد
- جنگ با دشمنان مسلمان
- جهاد ابتدایی
- جهاد اجیر
- جهاد استیجاری
- جهاد با خوف ضرر مالی
- جهاد با خوف نفس
- جهاد با مانع خراج
- جهاد با ناقض مهادنه
- جهاد با نفس
- جهاد با وسایل کشتار
- جهاد با کافر
- جهاد با کمی مسلمین
- جهاد بدنی
- جهاد بدون اذن
- جهاد بدون قصد
- جهاد بعد از امان
- جهاد بعد از پیامبر خاتم
- جهاد بعد از دعوت به اسلام
- جهاد بعد از زوال
- جهاد بعد از مهادنه
- جهاد به آب بستن
- جهاد به بستن راه
- جهاد به تخریب خانه
- جهاد به تخریب دژ
- جهاد به جعل
- جهاد به قطع درخت
- جهاد به محاصره
- جهاد به منع آب
- جهاد خنثی
- جهاد در خشکی
- جهاد در دریا
- جهاد در صدر اسلام
- جهاد در فتنه
- جهاد در ماه حرام
- جهاد در مدینه
- جهاد در مسجد الحرام
- جهاد دوبین
- جهاد زبانی
- جهاد زن
- جهاد شونده
- جهاد عبد
- جهاد عینی
- جهاد غنی
- جهاد قادر با تجهیز غیر
- جهاد قبل از دعوت به اسلام
- جهاد قبل از زوال
- جهاد قلبی
- جهاد مالی
- جهاد مجنون
- جهاد مدیون
- جهاد مرزبان
- جهاد معذور
- جهاد موسر
- جهاد نیابتی
- جهاد همراه امام ظالم
- جهاد همراه امام عادل
- جهاد همراه اهل تسنن
- جهاد همراه غیر امام
- جهاد همراه منصوب امام
- جهاد پشت به خورشید
- جهاد کفایی
- جهاد کودک
- جِبهِه
- حاکم جهاد
- حمله در جهاد
- دعا در جهاد
- دعوت امام به جهاد
- دعوت کننده جهاد
- دفاع
- دیوان مرصدین
- ذبح حیوان در جهاد
- ربودن مال در جهاد
- رضایت امام به تحکیم
- رمی سپر در قتال
- رمی سپر مسلمان در قتال
- رمی سپر کافر در قتال
- روایات جهاد
- رَجَز در جهاد
- سربازی
- سقوط جهاد
- سپاه اسلام
- شرایط امان
- شرایط جهاد
- شرایط حاکم جهاد
- شعار در جهاد
- عجز از جهاد
- عقل حاکم جهاد
- علم حاکم جهاد
- غزوه
- غنیمت
- غنیمت به مددکاران جهاد
- فرار از جهاد
- فرار از جهاد بدون عذر
- فرار مست از جهاد
- فضیلت جهاد
- قتل حربی
- قتل در جنگ
- قتل در جهاد
- قصاص قاتل مسلمان در جهاد
- قطع درخت در جهاد
- مباشرت امام در جهاد
- مباشرت منصوب امام در جهاد
- مجاهِد
- محاصره در جهاد
- مدیریت جهاد
- مدیریت حاکم جهاد
- مرزبانی
- مستحبات جهاد
- مسقطات جهاد
- مشروعیت جهاد
- مقاومت در جهاد
- منع آب در جهاد
- منع فرزند از جهاد
- موسیقی برای جهاد
- مُهاجر
- مکر در جهاد
- مکروهات جهاد
- نذر جهاد
- نقض عهد در جهاد
- نیابت در جهاد
- نیت جهاد
- هجرت
- هزینه جهاد
- وجوب جهاد
- وقت جهاد
- پی کردن حیوان مسلمان
- پی کردن حیوان کافر
- کشتن حیوان در جهاد
- کفاره قتل مسلمان
فرهنگ موضوعی جهاد
بخش اول: جهاد و دفاع
- جایگاه و فضیلت جهاد و دفاع
- جهاد، تجارتی بینظیر و سودمند
- برتری جهاد بر سیراب ساختن حاجیان و آباد کردن مسجدالحرام
- جهاد برتر از تمام علایق مادی و دنیوی
- جهاد، وسیله دفاع
- خیر و سعادت در سایه جهاد در راه خدا
- جهاد در راه خدا، کرامت بخش انسان
- جهاد در راه خدا، سبب سربلندی جامعه اسلامی
- جهاد، موجب امنیت جامعه اسلامی و گسترش خداپرستی
- جهاد، دری از درهای بهشت
- جهاد، سپر حفاظ و چکاد اسلام
- جهاد، قله بلند اسلام
- جهاد از ارکان ایمان به خدا
- جهاد موجب برتری نام و آیین خدا
- جهاد، اشرف اعمال، پس از پذیرش اسلام
- جهاد، برترین اعمال بعد از نماز
- جهاد، سیاحت امت پیامبر(ص)
- جهاد در راه خدا، از ویژگی شیعه بودن
- محفوظ ماندن پاداش هر کار ریز و درشت در جهاد، نزد خداوند
- جهادگران در راه خدا محبوبان خداوند
- پاداش پشتیبانی کنندگان مجاهدان در پشت جبهه
- ملاک ارزشمندی جهاد
- ارزشمندی جهاد به در راه خدا بودن [[[فی سبیل الله]]]
- بیارزش بودن جنگیدن برای مال، نام و شجاعت
- فرهنگ جهاد
- انتقال و گسترش فرهنگ جهاد به جامعه
- علل وقوع جنگ
- اختلاف میان ملّتها
- نقض پیمانها و رفتارهای ناشایست
- فلسفه و اهداف جهاد
- دفاع از مستضعفان و ستمدیدگان
- عواقب عدم دفاع از مستضعفان
- دفاع در برابر تجاوز و ظلم
- دفاع از اقلّیتهای مذهبی هم پیمان
- نابودی شرک و بت پرستی و رفع فتنه
- هدایت انسانهای گمراه
- لزوم دفاع از دین و ارزشهای الهی
- مقابله با براندازان حکومت اسلامی و جلوگیری از سلطه باطلگرایان
- مبارزه با عوامل گمراهی
- آزمون الهی و صحنه تبلور اعمال و شناخت مجاهدان
- جداشدن صف صادقان از مدعیان صداقت
- پالایش دلهای مجاهدان
- وجوب جهاد ابتدایی
- وجوب جهاد به عنوان یک تکلیف، علی رغم ناگوار شمردن آن
- فرمان به جهاد در راه خدا
- اعلان جنگ حضرت سلیمان به قوم سبأ
- لزوم حرکت و بسیج به سوی جبهههای نبرد
- هشدار به سستی کنندگان در جهاد
- وجوب عینی و کفایی جهاد
- وجوب جهاد، بر پیامبر(ص)
- جهاد، وجوب کفایی
- عدم وجوب جهاد بر بادیه نشینان
- جواز جُعل [گرفتن اجرت و حضور در جبهه به جای دیگران]
- شرایط جهاد ابتدایی
- مشروعیت جهاد ابتدایی تنها با اجازه امام عادل
- عدم جواز جهاد با اذن حاکم جائر و ستمگر
- جواز دفاع و مرزبانی در حاکمیت حاکم جائر
- مبسوط الید بودن امام (داشتن نیرو و امکانات و تجهیزات)
- اذن پدر و مادر
- وجوب جهاد بر مردان و افراد سالم
- وجوب دعوت کفار به اسلام قبل از نبرد
- کیفیت دعوت به اسلام
- دفاع
- وجوب دفاع، به خاطر جلوگیری از فساد و تباهی
- وجوب دفاع جهت حفظ نشانههای عبودیت
- وجوب دفاع به خاطر دفع ستم و تجاوز
- وجوب دفاع در هر شرایطی [بی شرط]
- جواز دفاع در حاکمیت سلطان جائر
- آثار و برکات جهاد
- سامان یافتن دین و دنیا در سایه جهاد
- دستیابی به احدَی الحُسنَیین (پیروزی یا شهادت)
- برخورداری از تمامی خیرات دنیا و آخرت (رستگاری واقعی)
- پایدار شدن دین و ارزشهای الهی
- نابودی دشمنان، التیام بخش دل مؤمنان
- استقلال و پایداری جامعه
- مصونیت جامعه از آسیب و گرفتاری
- بهره مندی از غنایم
- سختیهای جنگ
- سختیها و دشواریهای جنگ
- ناگوار بودن جنگ
- ناگوار بودن جنگ در ذائقه انسانها
- لزوم پایداری در جنگ
- وجوب استقامت و پایداری در برابر دشمن
- تکلیف مقاومت یک مسلمان در مقابل ده نفر از کافران درصدر اسلام
- تخفیف تکلیف مقاومت یک مسلمان در مقابل دو نفر از کافران به خاطر ضعف ایمان
- جهادگریزی [فرار و تخلّف]
- حرمت جهادگریزی
- حرمت فرار از مقابل دشمن
- فرار از جنگ از گناهان کبیره
- حرمت تخلف و سرباز زدن از جنگ
- ملاک حرمت فرار از جنگ
- حرمت فرار از مقابل دو نفر
- جواز عقب نشینی تاکتیکی
- آثار و عواقب جهادگریزی
- مانع نبودن فرار از جنگ، از مرگ حتمی
- عذاب دردناک جهنّم برای جهادگریزان
- بطلان و حبط عمل جهادگریزان
- ترک جهاد، زمینه ساز کفر آدمی
- سرنوشت جهاد گریزان بنی اسرائیل، عبرتی برای مسلمانان
- فرار موجب ذلت و سرشکستگی، فساد و بیعدالتی
- فرار، عامل تقویت دشمن، سبک شمردن برنامه پیشوایان، سست شدن بنیان دین
- فرار موجب خشم الهی، ننگ ابدی
- فرار موجب تسلط بیگانگان و شروران در جامعه
- عوامل و بسترهای فرار
- تأثیر پذیری از تبلیغات دشمنان، زمینهساز فرار
- وسوسههای شیطانی، عامل فرار
- غرور و اعتماد به کثرت نیرو و ساز و برگ نظامی، از عوامل فرار
- دنیاطلبی و کسب غنایم
- عشق به خانه، عشیره، اموال
- بستر ساز تخلّف
- سستی، راحتطلبی و اهل شعار بودن، زمینه ساز تخلّف
- ترس از مرگ و سختی جنگ، از عوامل فرار
- متخلفان و فراریان
- اشراف و ثروتمندان بیدرد
- منافقان
- ضعیف ایمانان و تردید دلان
- پیمان شکنان با خدا
- موانع جهادگریزی
- ایمان به خدا و رسول خدا(ص)
- شیوه برخورد با جهادگریزان
- قبول توبه و بازگشت واقعی جهادگریزان
- فراخوانی جهادگریزان به اطاعت از فرمان جهاد
- سرزنش و نکوهش جهادگریزان (عالمان بیعمل)
- بازگرداندن فراریان به جبهه
- اعراض و رویگردانی از منافقان متخلف و منزوی کردن آنها در جامعه
- ردّ تقاضای منافقان متخلّف برای شرکت در جهاد
- شرایط ترک جهاد
- نابینا، افراد لنگ، بیمار، تهیدست
- ترس، ناتوانی
- پناهندگی به دشمن
- کیفر پناهندگی به دشمن
- دنیاطلبی، عامل پناهندگی به دشمن
- ترس از عدالت، عامل پناهنده شدن به دشمن
- جهاد در ادیان الهی
- فضیلت جهاد در کتابهای آسمانی (تورات، انجیل)
- جهاد پیامبران و امتهای پیشین
- جهاد پیامبران و امتهای پیشین با دشمنان دین
- پیشگویی قرآن و نصرت الهی بر پیروزی رومیان (اهل کتاب) بر ایرانیان در عصر بعثت و شادمانی مؤمنان
- جهاد ابراهیم خلیل(ع)
- جهاد موسی(ع) و قوم بنی اسرائیل
- جهاد یوشع، طالوت و داود با جالوت ستمگر
- جهاد حضرت سلیمان با قوم سبا (اعلان جنگ و تسلیم دشمن)
- جهاد حضرت عیسی(ع)
- پیامبر اکرم(ص) و جهاد
- وجوب جهاد بر پیامبر(ص)
- بیرون رفتن پیامبر(ص) برای جهاد
- شجاعت وصفناپذیر پیامبر(ص) در میدان نبرد
- جنگ بدر کبری
- جنگ بدر، نخستین جنگ اسلام و کفر
- فرمان جنگ بدر از سوی خداوند و ناخشنودی عدهای از مسلمانان
- وعده خداوند به پیروزی بر کاروان یا سپاه قریش
- پیروزی در جنگ بدر، بستر حاکمیت حق و نابودی باطل
- جلوگیری از گسترش اسلام، هدف مشرکان از برافروختن آتش جنگ بدر
- جنگ بدر، صحنه تمایز مؤمنان از کافران جنگ طلب
- برتری نظامی مشرکان نسبت به مسلمانان
- نظر منافقان پیرامون جنگ بدر
- جنگ بدر، جلوه قدرت خداوند بر هستی
- ظهور امدادهای غیبی در جنگ بدر
- اندک جلوه کردن سپاه دشمن در چشم رزمندگان
- دو برابر جلوه کردن سپاه اسلام در چشم مشرکان
- خوابی سبک و نزول نم فرهنگ موضوعی جهاد در آیینه آیات و روایات
- حکم سرزمینهای فتح شده در جنگ
- نم باران در جبهه مسلمانان
- نزول فرشتگان امدادی
- اطمینان قلب و آرامش روحی
- نقش فرشتگان در جنگ بدر
- شکست و نابودی کافران و فرار شیطان و پیروان او
- ذلت کافران و عذاب آنان به هنگام مرگ
- نکوهش گرفتن اسیر برای دستیابی به فدیه و مال دنیا
- تهدید مشرکان شکست خورده به بازگشت به جنگ
- غنایم جنگ بدر
- جنگ احد
- حرکت پیامبر اکرم(ص) و مسلمانان به سوی احد
- سرزنش خداوند از تصمیم دو گروه از پیکار گران احد برای انصراف از جنگ
- یکسان نبودن مجاهدان شرکت کننده در جنگ احد با قاعدان
- لزوم اطاعت پذیری (از فرماندهی کلّ قوا)
- جنگ احد، عرصه آزمایش الهی
- شکست مسلمانان از پاتک دشمن، نتیجه غفلت آنان
- سستی، اختلاف و دنیاطلبی از عوامل شکست مسلمانان
- عدم پایداری و فرار از مرگ، عامل دیگر شکست
- شایعه کشته شدن پیامبر(ص)
- فرار از جبهه به خاطر ضعف ایمان
- فرار به سمت کوه و بیتوجهی به فراخوانی پیامبر(ص)
- گمانهای ناروا بردن به وعدههای الهی
- دلداری خداوند به پیامبر(ص)
- نزول امدادهای غیبی، پس از بازگشت گروهی به میدان جنگ
- شکیبایی در برابر اعمال زشت و مثله کردن شهیدان توسط دشمن، بهتر از مقابلهبهمثل
- مانور حمراء الاسد
- پاداش بزرگ، برای مجروحان جنگ احد که به دعوت پیامبر برای تعقیب دشمن لبیک گفتند
- شجاعت و ایمان بالای پیکارگران حمراء الاسد
- تقویت روحیه رزمندگان، با بیان درد و آسیبهای دشمن
- بدر صغری
- یادآوری پیروزی بزرگ جنگ بدر، جهت تقویت روحیه رزمندگان
- شایعات و جنگ روانی دشمن و فضل الهی در خنثیسازی آن
- تکلیف پیامبر(ص) در جنگ بدر صغری
- جنگ احزاب (یا خندق)
- محاصره مدینه توسط لشکر احزاب
- افزایش ایمان مؤمنان راستین با دیدن لشکر احزاب
- شرایط سخت جنگی
- جنگ روانی منافقان در جنگ احزاب بر ضد جبهه اسلام
- فرار منافقان از جبهه نبرد
- تلاش منافقان برای منصرف کردن مسلمانان از شرکت در جنگ
- ترس شدید منافقان از وقوع جنگ و فرصتطلبی آنان پس از پایان جنگ
- پندار منافقان در مورد دشمن و کنارهگیری آنان از جنگ و پیگیری اخبار جنگ
- شکست لشکر احزاب مهاجم
- جنگ با یهودیان بنی قریظه
- محاصره قلعههای بنی قریظه و افکندن رعب در دل آنان
- غنایم جنگی در جنگ بنی قریظه
- جنگ بنی نضیر
- افکندن رعب در دل یهود بنی نضیر از سوی خداوند و هراس و وحشت آنان
- قطع برخی نخلهای یهود بنینضیر به اذن خدا برای تسلیمکردن و خوار گردانیدن آنان
- وعده یاری منافقان به بنی نضیر
- عدم پایبندی منافقان به وعدهها و تعهدات خود با بنی نضیر
- ترس شدید منافقان از مسلمانان
- اتکاء شدید یهودیان به موانع و استحکامات فیزیکی
- حکم به کوچ بنی نضیر از مدینه، فرجام آنان در دنیا
- علت کیفر یهود بنی نضیر، عنادورزی آنان
- عذاب دنیوی و اخروی، پیامد ستیزه جویی یهودیان با اسلام
- غنایم جنگی بنی نضیر
- مصارف ششگانه غنایم به جای مانده از بنی نضیر
- ایثار انصار بر مهاجران در غنایم، به رغم احتیاج خویش
- صلح حدیبیه
- صلح حدیبیه، فتحی بزرگ
- صلح حدیبیه، تدبیر الهی و زمینه ساز ورود مؤمنان به مسجد الحرام
- بیعت رضوان، پیمان پایداری مسلمانان با پیامبر(ص)
- نزول امداد غیبی، آرامش بر دلها
- وعده الهی به شکست مشرکان در صورت حمله به مسلمانان
- وقوع صلح به جای جنگ، به تدبیر و اراده الهی و به مصلحت مسلمانان
- قریش مانع ورود مسلمانان به مسجد الحرام در سفر حدیبیه
- وعده غنایم فراوان، بشارتی از سوی خداوند به مسلمانان حاضر در حدیبیه
- عذرخواهی متخلفان از صلح حدیبیه
- علل تخلف، بدگمان به خدا، دنیاطلبی و
- پیامد تخلف، محروم شدن از غنایم و شرکت در جهاد
- دعوت به جهاد با مشرکان، آزمایش متخلفان پشیمان
- جنگ بنیالمصطلق
- تهدید منافقان به اخراج پیامبر(ص) از مدینه به هنگام بازگشت از جنگ بنیالمصطلق
- فتح مکه
- وعده فتح مکه و ورود فوج فوج مردم به اسلام
- جنگ حُنین
- مغرور شدن به کثرت نیرو و تجهیزات، عامل شکست اولیه در حنین
- نزول امدادهای غیبی، آرامش روحی و نزول ملائکه در جنگ حنین
- دعوت فراریان به توبه و بازگشت به خدا و پیامبر(ص) و گذشت از خطای آنان
- جنگ تبوک
- فرمان بسیج عمومی برای جهاد در جبهه تبوک
- اعلان آمادگی مؤمنان برای جهاد
- اشتیاق بکّائین به حضور در جنگ علیرغم نداشتن امکانات
- تضمین پیروزی پیامبر(ص) از جانب خداوند
- شرایط سخت جنگ تبوک
- تخلف منافقان از جنگ
- تردید و دودلی و نداشتن ایمان، عامل تخلف منافقان
- شادمانی منافقان از مخالفت با پیامبر(ص)
- افشای توطئه قتل پیامبر(ص) توسط منافقان
- سلب توفیق شرکت در جهاد از منافقان
- دلایل عدم خشنودی خداوند از شرکت منافقان در جنگ، جاسوسی، فتنهانگیزی و
- شیوه برخورد با منافقان متخلف، عدم اعتماد به آنان و تهدید به رسوایی بیشتر
- ممنوعیت شرکت منافقان متخلف از جنگ تبوک در جنگهای بعدی
- اعراض از منافقان متخلف و منزوی کردن آنها در جامعه
- سوگند متخلفان توانمند به منظور جلب رضایت مؤمنان و لزوم هوشیاری
- عذرخواهی اعراب بادیه نشین از حضور در جهاد
- پاداش معذورین از جنگ تبوک
- تلاش برخی ثروتمندان برای ترک جهاد
- پشیمانی سه تن از متخلفان جنگ تبوک و پذیرش توبه آنان
- باز بودن راه توبه برای مؤمنان خطاکار و متخلّف از جنگ
- سریّه ذاتالسلاسل
- سوگند به اسبان تیزرو در هجوم غافلگیرانه جنگ ذاتالسلاسل
- سریّه عبداللَّه بن جحش
- بازداشتن مردم از راه خدا، کفر ورزیدن و فتنهگری، گناهی بزرگتر از جنگ در ماههای حرام
- حادثه رجیع
- آشکار شدن چهره واقعی منافقان در جریان حادثه رجیع
- سریه اسامة بن زید
- حکم خداوند در مورد برخورد با نیروهایی که اظهار اسلام میکنند
- جنگ جمل (ناکثین)، در عصر امام علی(ع)
- علل و عوامل پیدایش جنگ جمل، خونخواهی عثمان
- ریاست و قدرتطلبی طلحه و زبیر از علل دیگر جنگ جمل
- اقدام امیرمؤمنان(ع) برای سرکوبی شورشگران جمل (ناکثین)
- عملکرد وحشیانه جنگ افروزان جمل
- نصیحت امام(ع) به پیمان شکنان و فریب خوردگان جمل
- سفارشهای امام علی(ع) به رزمندگان
- سفارش امام علی(ع) به پرچمدار خود، محمد حنفیه
- دستور حمله به مرکز فرماندهی
- فرمان کشتن و آتش زدن شتر عایشه (رهبر ناکثین)
- سخن امام(ع) به هنگام دیدن جنازه طلحه
- سیره امام علی(ع) در جنگ جمل شبیه سیره پیامبر(ص) در فتح مکه
- شیوه برخورد امام علی(ع) با بغات برای رفع خطر از شیعیان
- بازگرداندن اموال بغات به صاحبان آنها
- جنگ صفین (قاسطین)
- تدبیر امامعلی(ع) در مورد اعلان جنگ با معاویه
- تبیین فلسفه وقوع جنگ صفین
- پاسخ امام علی(ع) به امتیازطلبی و باج خواهیهای معاویه
- پاسخ قاطع امام(ع) به جنگطلبیهای معاویه
- روشنگری و افشای ماهیت دشمن جنگ طلب
- اعلان بسیج عمومی برای جنگ با دشمنان خدا (معاویه و یارانش)
- نشان و شعار سپاهیان در جنگ صفّین
- حکمیت، نتیجه جنگ صفین و بازنده شدن جبهه حق
- فرمان تداوم جنگ با جنگ افروزان صفین
- جنگ خوارج نهروان (مارقین)
- آراء و عقاید باطل خوارج و شیوه برخورد امام علی(ع) با آنان
- شرایط امیرمؤمنان(ع) در برخورد با خوارج
- تبیین ماهیّت خوارج
- خوارج، سگهای جهنم
- نفرین امام(ع) و پیش بینی آینده خوارج
- تهدید خوارج نهروان به جنگ
- پیشگویی شکست خوارج در جنگ نهروان
- جنگ با خوارج، برترین و با فضیلتترین جهاد
- جنگ امام حسین(ع) با باغیان در کربلا
- فلسفه و علل وقوع جنگ
- بررسی منطقه و راههای کمین دشمن
- اذن شهادت یاران امام از جانب خداوند
- بشارت به فرجام گوارای شهادت، عامل شوق نبرد
- جنگ با محاربان
- حکم محاربان
- برخورد با مرتدین
- ارتداد و واسپگرایی، پیامد پیروی از کافران
- تهدید مرتدان
- جنگ با بغات و شورشگران
- وجوب جنگ با گروه باغی و متجاوز
- جذب و هدایت شورشیان، هدف اول برخورد با باغیان
- موضع و تصمیم قاطع امیرمؤمنان(ع) در نبرد با بغات و شورشگران
- مأموریت امام علی(ع) برای سرکوبی باغیان و شورشگران
- آثار و برکات جنگ امام علی(ع) با بغات و شورشگران
- فلسفه و علل جنگ با بغات و شورشگران فتنهانگیزی، پشت کردن به دستورات پیامبر(ص) حلال شمردن خون اهل بیت پیامبر(ص) و بدعت در دین
- هوی پرستی، بدعت در دین و التقاط
- بیحرمتی به ناموس پیامبر(ص) و قتل و غارت
- ماهیت کفرآلود و اهل تأویل بودن بغات
- کافر به احکام و نعمتهای الهی، نه کافر به اسلام
- شورشگر بر امام معصوم(ع)
- شورش مسلحانه علیه امام عادل
- جنگ با آشوبگران، منوط به اذن امام عادل
- دعوت باغیان به توبه و بازگشت به حق، نوعی اتمام حجت
- بصیرت و آگاهی نسبت به حق، شرط برافراشتن پرچم مبارزه با بغات
- برخورد امام(ع) با ابوموسی اشعری، به دلیل بیبصیرتی او در رابطه با بغات
- لزوم تداوم جنگ با بغات تا بازگشت به حکم الهی یا کشته شدن
- شکست، فرجام افراد باغی
- حکم فراریان و مجروحان بغات (دارای سازمان و پایگاه یا فاقد آن)
- تفاوت احکام جنگ جمل فرهنگ موضوعی جهاد در آیینه آیات و روایات
- حکم سرزمینهای فتح شده در جنگ و جنگ صفین
- عدم شروع به جنگ
- جنگ با بغات چون مشرکان، با هر سلاح مجاز
- اموال بجای مانده از بغات
- جهاد با اهل کتاب (یهود، نصاری و مجوس)
- وجوب جهاد با اهل کتاب
- شیوه برخورد با اهل کتاب
- تبلیغات اهل کتاب برای خاموش کردن فروغ اسلام
- دشمنی با مسلمانان، مجوز جنگ با اهل کتاب
- پیمان شکنی، مجوز جنگ با اهل کتاب
- بشارت خداوند؛ پیروزی بر اهل کتاب
- از بین بردن عقبه و نیروی پشتیبانی دشمن (اهل کتاب)
- روحیه ترسان و هراسان اهل کتاب (یهودیان) از رو به رو شدن با سربازان اسلام
- اتّکاء اهل کتاب به موانع و استحکامات فیزیکی در جنگ
- پراکندگی و تفرقه دلهای اهل کتاب علی رغم وحدت ظاهری
- شکست، فرجام تلخ اهل کتاب (یهود)
- کیفر دنیوی و اخروی اهل کتاب (یهود)
- همکاری اهل کتاب و منافقان و دلخوش داشتن به کمک منافقان
- جایز نبودن جنگ با اهل کتاب در صورت پرداخت جزیه (مالیات)
- جواز گرفتن جزیه فقط از اهل کتاب و جایز نبون آن از مشرکان
- مقدار جزیه بستگی به نظر امام
- معاف شدگان از پرداخت جزیه
- لغو جزیه در صورت همکاری اهل کتاب با مسلمانان در جنگ با مشرکان
- ضرورت مقابله فرهنگی با اهل کتاب
- جهاد با مشرکان
- فرمان جهاد با مشرکان
- مهلت چهارماهه به مشرکان برای تصمیمگیری نهایی
- مبارزه بیامان با مشرکان پس از انقضاء مهلت چهارماهه
- فلسفه و علل جنگ با مشرکان؛ اخراج پیامبر(ص)، آغازگری جنگ و فتنهانگیزی
- بازداشتن مردم از راه خدا
- تجاوزگری و جنگ افروزی
- پیمان شکنی مکرّر مشرکان
- اعلان فسخ پیمان با مشرکان پیمان شکن
- شرایط وفاء و نقض پیمان با مشرکان
- قبول پناهندگی مشرکان
- منافقان و جهاد
- اعتقاد نداشتن منافقان به جهاد و دفاع
- شادمانی به خاطر تخلّف از جهاد و اخلالگری در بسیج عمومی
- دروغگویی و اظهار عجز منافقان از شرکت در جهاد
- سلب توفیق جهاد از منافقان توسط خداوند
- عذرتراشی منافقان از تخلف از جهاد
- تقاضای ریاکارانه منافقان متخلف و پاسخ به آنان
- فرار منافقان از جنگ بخاطر حفظ جان و ترس از مرگ
- پاسخ خداوند به فراریان منافق، خیر و شر جملگی تابع اراده الهی
- بیم و اضطراب درونی منافقان
- ترس و هراس منافقان از رزمندگان اسلام، بیش از ترس از خدا
- موافقت منافقان با درخواست دشمنان مهاجم
- نداشتن ایمان، عامل جهادگریزی منافقان
- راحتطلبی و پرهیز از سختیهای جنگ، از خصائص منافقان
- نقش منافقان همانند شیاطین، دادن وعدههای دروغین
- وعده همکاری منافقان با دشمنان اسلام
- فتنه انگیزی و دروغگویی از شاخصههای منافقان
- جاسوسی منافقان برای دشمنان
- پیمان شکنی از خصلتهای بارز منافقان
- نارضایتی منافقان از پیروزی پیامبر(ص) و خوشحالی از شکست او
- پاسخ خداوند به بینش نادرست منافقان درباره شکست مسلمانان
- تبلیغات و جنگ روانی بر ضد مسلمانان در جنگ
- تهدید منافقان شایعه افکن
- فرصتطلبی و مطالبات منافقان در بهره برداری از نتایج جنگ
- اطاعت ظاهری از پیامبر(ص) و مخالفت با او در عمل از شگردهای منافقان
- ایجاد پایگاه برای مبارزه با خدا و رسول او، با پوشش دین
- افشای توطئه منافقان در براندازی حکومت الهی
- فرمان جهاد با منافقان و سختگیری بر آنان
- نپذیرفته شدن کمکهای مالی منافقان برای جهاد
- لزوم اعراض و رویگردانی از منافقان
- لزوم هوشیاری در برابر نیرنگ منافقان
- سرزنش مسلمانان بخاطر اختلاف و تردید در مورد منافقان
- فرجام و سرنوشت تلخ منافقان
- سنت تغییرناپذیر الهی در مورد سرنوشت منافقان
- آمادگی رزمی
- آمادگی رزمی و نقش بازدارندگی آن
- آمادگی رزمی و خنثی کردن توطئههای دشمنان
- ضرورت آمادگی رزمی و حفظ هوشیاری
- آمادگی رزمی در عمل پیامبر(ص)
- امیرمؤمنان(ع) و آمادگی رزمی
- امام باقر(ع) و آمادگی رزمی
- پاداش آمادگی مجروحان جنگ احد برای تعقیب مشرکان
- بسترهای آمادگی رزمی، آموزش نظامی و
- موانع آمادگی رزمی؛ سورچرانی و
- صلح
- دعوت اسلام به صلح و عدالت خواهی
- پذیرفتن صلح در صورت تمایل دشمنان و دست کشیدن از جنگ
- دعوت دشمنان به حق و حقیقت در سایه صلح
- توکل بر خداوند در انعقاد پیمان صلح
- آثار صلح، آسایش رزمندگان و امنیت کشور
- پذیرش صلح از اختیارات فرماندهی کل قوا
- لزوم پایبندی به صلح
- حفظ هوشیاری در مقابل فریب دشمن
- لزوم صراحت و شفافیت در پیمان صلح
- شرائط صلح، عدالت و برابری
- نگرش ناقضین پیمانهای صلح
- پرهیز از صلح ذلّت بار با متجاوزان
- تأکید بر صلح در جنگ صفین، از جانب امیرمؤمنان(ع)
- حاکمیت قرآن، مبنای حکمیت، از شرایط صلح در جنگ صفّین
- عادلانه عمل کردن در حکمیت از شرایط صلح
- داوران ناصالح در حکمیت جنگ صفین
- مدت ترک مخاصمه با مشرکان
- مرزبانی
- اهمیت و ضرورت حفاظت از مرزهای کشور اسلامی
- فضیلت و پاداش مرزبانی
- دعای امام سجاد(ع) برای مرزبانان
- مدت زمان مرزبانی
- پرهیز از نگهداری مداوم یک عدّه از نیروهای مسلّح در مرزها
- جواز مرزبانی در حاکمیت جور، جهت دفاع از مرزها
- حکم نذر برای مرزبانی در زمان حاکمان غاصب و ستمگر
- مرزبانی فرهنگی
- سنتهای الهی
- قطعی و تخلفناپذیر بودن سنت الهی
- تحقق پیروزی همه جانبه اسلام بر کفر، سنت الهی
- تضمین عزتمندی و شکوه دین اسلام از ناحیه خداوند
- حمایت و پشتیبانی خداوند از رسولان و مؤمنان در طول تاریخ
- نصرت یاری کنندگان دین خدا
- خواست خداوند، عدم سلطه کافران بر مؤمنان
- عدم کارایی نقشهها و توطئههای دشمنان برای نابودی دین خدا
- ناتوانی و عجز دشمنان خدا در برابر اراده الهی
- پایدار نبودن پیروزی متجاوزان
- شکست، نابودی و عذاب جهنم، سرنوشت محتوم کافران
- ظهور درماندگی کافران به هنگام هلاکت
- پیروزی جبهه حق در جنگ بدر، نمونه روشن تحقق اراده الهی
- پیروزی جبهه حق و نابودی کافران، فقط از جانب خداوند و اراده او
- تمایز حق جویان از باطل گرایان، از سنتهای الهی در جنگ
- پیروزی و شکست در جنگ، تابع علل و عوامل مادّی و معنوی
- زندگی و مرگ، تابع قانون الهی
- حق و باطل
- ثبات و پایداری حق و ناپایداری باطل
- بصیرت و آگاهی، عامل تشخیص حق از باطل
- فضیلت اجرای حق
- شیوه تبیین حق
- نکوهش بیطرفی و بیتفاوتی نسبت به حق
- کشتگان حق در بهشت و کشتگان باطل در جهنم
- پیروزی و شکست
- چرخش پیروزی و شکست بین ملتها، تابع علل و عوامل
- تأثیر عملکرد انسان بر پیروزی و شکست ۲۵۹ الف- عوامل پیروزی
- پیروزیهای جبهه حق، مرهون نصرت الهی نه امکانات مادی
- یاری دین خدا
- زمینههای نصرت الهی، مورد تعدّی و تجاوز دشمن قرار گرفتن
- آرامش روح و سکینه دل
- تکلیف مداری و عمل به وظیفه
- امیدوار به دست یابی به یکی از دو نیکویی
- ولایت مداری، قبول ولایت خدا
- اطاعت پذیری از خدا و دستورات پیامبر اکرم(ص)
- الگوپذیری از پیامبر(ص)
- تقدیر از نیروها، موجب توان افزایی روحیه آنان
- ترجیح خشنودی خدا بر غیر خدا
- ایمان راستین
- پرهیزکاری
- صدق و راستی
- توکل بر خدا
- صبر و پایداری
- صبر و استقامت، بیست نفر در مقابل دویست نفر
- استقامت گروهی اندک از یاران طالوت در مقابل لشکری عظیم
- صبر و استقامت پیامبر اعظم(ص) و یاران او
- صبر و استقامت و نزول فرشتگان یاور
- پایداری و استقامت، ضامن پیروزی
- داشتن بصیرت
- اتحاد و یکدلی
- استعانت از نماز
- ذکر و یاد خدا
- راز و نیاز شبانه و تلاوت قرآن
- دعا و نیایش و درخواست پیروزی از خداوند
- دعا و نیایش، سیره رسول خدا(ص) در جنگ
- دعای تعلیمی پیامبر(ص) به امام علی(ع) در جنگ خیبر
- دعاهای امام علی(ع) در جنگ
- دعای امام حسین(ع) در بامداد روز عاشورا
- دعای امام سجّاد(ع) برای پیروزی رزمندگان
- نفرین دشمنان و درخواست شکست و ذلّت آنان از خداوند
- دعا به هنگام پوشیدن لباس رزم
- ذکرهای مفید در جبهه جنگ
- امیدوار بودن و مأیوس نشدن
- نظم و انضباط
- ایجاد رعب و ترس در دل دشمن
- فراهم آوردن ساز و برگ نظامی
- عوامل شکست
- حکم سرزمینهای فتح شده در جنگ ص:
- دنیا پرستی و دل خوش کردن به زندگی دنیا
- سوء ظن به خداوند و بازگشت به عقاید جاهلی
- مغرور شدن به کثرت نیرو و ساز و برگ نظامی و غافل شدن از خدا
- هراس و ترس
- فقدان بصیرت نسبت به حق و حقیقت
- تسلیم شایعات دشمن
- اختلاف و سرپیچی از دستورات فرماندهی
- شعار دادن بدون عمل و سستی ورزیدن و تن پروری
- نداشتن غیرت دینی و ملی و انگیزهای معنوی در نبرد با دشمن
- دست از یاری یکدیگر کشیدن
- وانهادن کار در لحظههای پیروزی
- خیانت و نیرنگ ورزیدن
- یاری خواستن از دشمنان خدا علیه دشمنان خداوند
- امدادهای غیبی
- نزول امدادهای غیبی
- نصرت و امداد غیبی شامل حال پیامبر(ص) در همه پیروزیها
- حمایت خداوند از مؤمنان و کوتاه کردن دست دشمنان
- شکست و نابودی کفار بهدست خداوند و واسطه بودن رزمندگان
- امدادهای غیبی در جنگهای صدر اسلام
- نزول امداد غیبی در جنگ بدر
- نزول امداد غیبی در جنگ احد
- نزول امداد غیبی در جنگ احزاب
- پیروزی در جبهه یهود در پرتو امدادهای الهی
- فتح مکه در پرتو امدادهای غیبی
- امدادهای الهی به رومیان شکست خورده در برابر ایرانیان در عصر بعثت
- جلوهها و مصادیق امدادهای غیبی
- کم جلوه دادن نیروهای دشمن در چشم رزمندگان
- زیاد جلوه کردن رزمندگان اسلام در چشم دشمنان
- نزول فرشتگان امدادی
- نزول آرامش و سکینه بر دلها
- فرستادن خواب سبک آرامش بخش بر رزمندگان
- نزول نم نم باران رحمت در شب عملیات
- ایجاد الفت و محبت بین رزمندگان
- ایجاد رعب و هراس در دل کافران
- ارسال طوفان ۲۹۶ د- زمینه و بسترهای نزول امدادهای غیبی
- امدادهای غیبی نیاز به بسترسازی
- صبر و تقوا، زمینه ساز نزول فرشتگان
- یاری کردن دین خدا
- ایمان راستین
- مظلوم واقع شدن
- خلوص نیت و پرهیز از ریا و خودنمایی
- پرهیز از غرور
- قوانین و مقررات جنگ
- سفارشهای پیامبر اعظم(ص) به رزمندگان مبنی بر رعایت قوانین و مقررات جنگ
- منع خیانت در جنگ
- نهی از مثله کردن کشتههای دشمن
- پرهیز از جنگ با غیر نظامیان
- منع کشتن پیران فرتوت، ناتوانان، کودکان و زنان
- پرهیز از آزار و بیحرمتی به زنان
- مصونیت جانی پیک دشمن
- پرهیز از ستم به کشاورزان
- منع کشتن راهبان صومعهنشین
- مصونیت جانی گروگانهای دشمن
- قطع درختان و آتش زدن مزارع
- منع کشتن حیوانات اهلی مگر در حال اضطرار
- پرهیز از ورود به خانهها و غارت اموال
- پرهیز از کشتن مسلمانانی که سپر قرار گرفتهاند و پرداخت دیه کشتهشدگان
- پرهیز از آغاز به جنگ
- فرصت دادن امام علی(ع) به اهل شام
- جواز مقابله به مثل
- پرهیز از قتل ناتوانان و مجروحان در جنگ باغیان بدون سازمان نظامی
- جنگ در ماههای حرام
- چهار ماه حرام (رجب، ذی قعده، ذی حجّه و محرم)
- حرمت جنگ در ماههای حرام
- جواز جنگ در ماههای حرام در صورت حرمت شکنی دشمنان
- حرمتشکنی مشرکان جاهلی در جابهجا کردن ماههای حرام برای تداوم جنگ و غارت
- نهی از جنگیدن در مسجدالحرام، جز در صورت حرمت شکنی دشمنان
- پیمان با دشمنان
- لزوم پایبندی و وفاء به پیمان با دشمنان
- تأیید پیمانهای عصر جاهلیت از جانب اسلام
- رعایت عدالت و رفتار نیک با اهل معاهده
- جواز انعقاد پیمان با غیر مسلمانان
- نامشروع بودن انعقاد پیمانهای سلطه آور با کافران
- احترام به پیمانهای بینالمللی با کفار
- کیفر پیمانشکنان
- کیفر پیمان شکنی
- لغو یکجانبه پیمانها در صورت خیانت کافران
- پیمان شکنی، خصلت دشمنان اسلام
- پیمانهای الهی
- لزوم پایبندی بر پیمانهای الهی
- وفا کردن مؤمنان بر پیمان خود با خداوند
- سرزنش پیمان شکنان
- پیمان شکنی خصلت منافقان
- پرهیز از پیمان شکنی
===بخش دوم: نیروی انسانی===
- فرماندهی کل قوا
- جایگاه و ضرورت فرماندهی کلّ
- جایگاه امیرمؤمنان(ع) به عنوان فرمانده کل قوا
- درخواست مستضعفان از خداوند برای تعیین فرماندهی مناسب برای جهاد ستمگران
- انتخاب فرماندهی کل قوا از جانب خداوند، برای قوم بنی اسرائیل
- صندوق عهد، نشان انتخاب طالوت به فرماندهی کلّ
- نقش فرماندهی کل قوا در هدایت انسانها
- سفارش رزمندگان به اصول و ارزشها توسط فرماندهی کل، امیرالمؤمنین(ع)
- سفارش رزمندگان به رعایت قوانین و مقررات، توسط فرماندهی کل، پیامبر(ص)
- نقش فرماندهی کل قوا، امام علی(ع) در هدایت عملیات
- پیامبر اکرم(ص)، فرماندهی کل قوا، پیشگام در نبرد با دشمنان
- حضور امیرمؤمنان(ع) فرماندهی کل قوا، در خط مقدم جبهه
- امام حسین(ع)، فرماندهی کل قوا و اقدام به یاری دین خدا
- شرکت پیامبر(ص)، فرماندهی کل قوا در کندن خندق در جنگ احزاب
- اسوه بودن پیامبر(ص) برای رزمندگان
- فرماندهی کل قوا، (پیامبر(ص)) و اعزام خویشان خود به نبرد
- پیشگامی فرزندان امیرمؤمنان(ع) در جنگ
- خداوند حمایت کننده پیامبر(ص) فرماندهی کل قوا در جنگ
- روحیه دادن خداوند به پیامبر(ص)
- سیره پیامبر(ص)، دعا برای پیروزی رزمندگان
- نیاز فرماندهی به پیروان فرمانبر برای پیروزی در نبرد
- بیتوجهی به دستورات فرماندهی، عامل شکست در نبرد
- شایعه قتل پیامبر(ص) در جنگ احد و فرار مسلمانان، نشان از ضعف ایمان آنان
- حقوق متقابل فرماندهی و فرمانبران
- حقوق متقابل فرماندهی کل قوا و فرماندهان
- حقوق متقابل فرماندهی کل قوا و نیروها
- ویژگی و صفات برجسته فرماندهی کل قوا (پیامبر(ص) و امامان معصوم(ع))
- نرمخو و مهربان
- عشق به خدا و ایثار در راه او
- داناتر از همه به دستورات الهی
- بصیرت سیاسی و آگاهی بالا
- پایداری در مواضع حق و سازش ناپذیری در برابر ظلم
- شجاعت وصفناپذیر
- مشتاق به هدایت انسانها
- اعتماد و توکل بر خداوند
- مشاوره با نیروها جهت بها دادن و شخصیت قائل شدن برای آنها
- گذشت و چشم پوشی از خطای دیگران
- وظایف و اختیارات فرماندهی کل قوا
- نظارت بر عملکرد فرماندهان و مسؤولان
- آگاهی پیامبر(ص) از عملکرد منافقان
- عزل و نصب فرماندهان
- تقدیر از عملکرد فرماندهان و نیروهای تحت امر
- دلجویی از فرماندهان معزول
- یاد و خاطره فرماندهان شهید
- دلجویی از فرماندهان در شرایط حساس
- توبیخ فرماندهان به خاطر سهل انگاری در انجام وظیفه و اقدامات بیمورد
- تصمیمگیری در مورد جهاد با دشمنان [برنامههای کلان و راهبردی کشور]
- اعلان عفو عمومی دشمنان در جنگ
- تصمیم در مورد اسیران جنگی
- اقتدار و تضعیف فرماندهی کل قوا
- اطاعت پذیری نیرو از عوامل اقتدار
- همدلی و خیرخواهی نیروها نسبت به فرماندهی کل قوا
- نافرمانی و تمرّد نیروها
- خستگی جنگ و سستی
- اختلاف و خانه نشینی نیروها
- بهانه تراشی و بیتفاوتی نیروها
- احساس دلتنگی امیرمؤمنان(ع) نسبت به عدم وفاداری نیروها
- فرماندهی و مدیریت
- لزوم و ضرورت فرماندهی
- شایستهسالاری در نصب فرماندهی
- استفاده از فرماندهان نیرومند، با تجربه و خیراندیش در جنگ
- ویژگیهای فرمانده مکتبی
- دوازده ویژگی در نامه امام علی(ع) به مالک اشتر خیرخواه، اطاعتپذیر، بردبار، صبور و شجاع، سلحشور، با تقوا، انعطافپذیر، حامی مستضعفان، قاطع و سازشناپذیر، پاسخگو، بلند نظر و بلند همت، مهربان و عطوف
- برخوردار از دانش و توان جسمی
- خردمند
- خدمتگزار و بدور از ریاستطلبی
- عدالتخواهی و پرهیز از هوای نفس
- با تقوا، کنترل کننده هوسها و پرهیزگر از پرخاشگری
- قاطع در سرکوبی شورشگران و حلّ بحرانها
- مالک اشتر، اسوه فرماندهان (بنده خدا، هوشیار، شجاع، خیرخواه، مطیع
- حفظ سلسه مراتب در فرماندهی
- وظایف و اختیارت
- نظارت بر عملکرد نیروهای تحت امر
- پرهیز از برخورد ناشایست با سپاهیان
- تشویق و ستایش نیروها
- تضعیف فرماندهی، مخالفت نیروها
- ستاد و قرارگاه فرماندهی
- لزوم قرار گرفتن ستاد و قرارگاه فرماندهی در قلب لشکر
- ستاد فرماندهی امیرمؤمنان(ع)
- عدم لزوم حضور فرماندهی کل در جبهه جنگ
- پرهیز دادن امام علی(ع)، خلیفه دوم را از حضور در جبهه جنگ قادسیه
- نیرو
- نقش اساسی نیرو در تحقق جهاد
- بسیج و نیروهای مردمی
- فراخوانی نیروهای مردمی برای جهاد با دشمنان
- تحریک احساسات فرهنگ موضوعی جهاد در آیینه آیات و روایات
- حکم سرزمینهای فتح شده در جنگ
- مذهبی و ملی برای بسیج نیروها
- لزوم بسیج نیروهای داوطلب و اطاعتپذیر
- نقش عالمان در جنگ
- آموزش و هدایت نیروهای رزمنده
- حضور عالمان در جبهه جنگ و نبرد با دشمن
- جایگاه و مقام مجاهدان
- مجاهدان محبوب خدا
- سوگند خداوند به اسبان مجاهدان
- برتری مجاهدان در راه خدا بر غیر مجاهدان
- خیرات و رستگاری از آن مجاهدان
- مقامی والا و بهشت جاودان
- غفران الهی و بخشش گناهان و لغزشها
- معامله مجاهدان با خداوند
- محاسبه کوچکترین عمل مجاهدان به عنوان عمل صالح
- بهرهمندی از پاداش بزرگ الهی
- اجابت دعای مجاهدان
- هفت فضیلت برای مجاهدان در روایت امام رضا(ع)
- شش فضیلت برای مجاهدان در سخن پیامبر اکرم(ص)
- اختصاص باب المجاهدین در بهشت، برای مجاهدان
- مجاهدان راه خدا، جلوداران بهشتیان
- حور العین پاداش مجاهدان
- مجاهدان به همراه مرکبها و سلاحهای خود در بهشت
- همنشینی مجاهدان با امامان(ع) در بهشت
- پرواز مجاهدان راه خدا در بهشت
- بهشت، پاداش دست اندرکاران نبرد
- مجاهدان، همواره در اطاعت خدا
- عمر درازتر و فرزندان بیشتر نصیب مجاهدان
- برتریِ جهاد با جان، بر جهاد با مال
- حقوق مادی و معنوی مجاهدان
- حقوق متقابل فرماندهی کل و رزمندگان
- ضرورت رسیدگی به معیشت و رفاه و برآوردن نیازهای مجاهدان
- خانواده مجاهدان
- رسیدگی به خانواده رزمندگان در پشت جبهه
- رسیدگی به خانواده رزمندگان و حمایت مالی از آنها در دعای امام سجاد
- کیفر بدرفتاری با خانواده رزمندگان
- پاداش نامه رسانی به خانواده رزمندگان
- نیروهای کیفی و کارآمد
- توان نظامی بالای نیروی کیفی، یک نفر در مقابل ده نفر
- توان حداقل، مقاومت در مقابل دو نفر
- شعار نیروهای کیفی، غلبه گروه اندک بر گروه بسیار به اذن خدا
- عمل شجاعانه حضرت داود
- امیرمؤمنان(ع) و مجاهدان صدر اسلام، اسوه نیروهای کیفی
- ویژگی نیروهای کیفی
- داوطلب بودن برای انجام مأموریت
- ایمان راسخ به خداوند و معاد و پایبند به آن
- اهل جهاد در راه خدا
- امید بستن به رحمت بیکران الهی
- تسلیم در برابر فرمان پیامبر اکرم(ص) و تصدیق وعدههای الهی
- پایبند به عهدی که با خدا بستند
- اهل اطاعت و عبادت و امر به معروف
- اهل شب زنده داری و تلاوت قرآن
- اهل ذکر و یاد خدا
- در زمین ناشناخته و در آسمانها پر آوازه
- ایثارگر
- اهل بیعت رضوان
- برخوردار از روحیه عالی و آرامش خاطر
- اطاعتپذیر و منضبط در شرایط سخت
- اهل بصیرت و دانش
- احیاگر باورها و ارزشهای الهی و تثبیت رسالت پیامبر(ص)
- پرصلابت و خشن در برخورد با کافران و مهربان نسبت به مؤمنان
- صابر و پایدار
- الگو قرار دادن پیامبر اکرم(ص) در جهاد
- تکلیفگرا (عمل به وظیفه و تکلیف)
- شجاع و نترس
- رعایت اخلاق و شئونات اسلامی در رابطه با دشمن
- پرهیز از شهوت رانی و سورچرانی
- نیروهای کمی و ناکارآمد
- عدم کارآیی فزونی افراد با پراکندگی دلها
- ناکارآمدی نیروهای ضعیف و سست
- غیر قابل اعتماد بودن نیروهای سست عنصر
- ویژگی نیروهای کمی ضعیف و ناکارآمد
- تمرّد و اطاعت ناپذیری
- فاقد بصیرت دینی و سیاسی
- تقدّم جان خود بر جان فرماندهی کل، و ترس از مرگ
- رزمندگان بیمزد
- جنگیدن برای مال، نام و دلیری، فاقد پاداش اخروی
- ارزش جهاد، در گرو فضیلتهای آن
- مأموریت مهم و حساس
- استفاده از نیروهای داوطلب و اطاعتپذیر در مأموریتهای حساس
- عدم استفاده از نیروهای ترسو در مأموریتهای مهم
- ارزیابی و ارزشیابی
- ارزیابی طالوت از نیروهای تحت امر
- آزمودن رزمندگان، جهت ارزیابی صابران از غیر صابران
- اطاعت پذیری، ملاک ارزشیابی نیروها
- گزینش
- گزینش نیروهای کیفی از نیروهای فتنه جو و جاسوس
- اعطای آزادی عمل به نیروها جهت انتخاب راه
- انتخاب نیروهای شایسته از سوی امام حسین(ع)
- سازماندهی
- لزوم سازماندهی نیروها قبل از نبرد
- سازماندهی نیروها، توسط پیامبر(ص)
- سازماندهی نیروها توسط امیرمؤمنان(ع)
- نظم و انضباط
- تأکید بر نظم و انضباط
- سفارش امام علی(ع) به نظم در امور در کنار سفارش به تقوا
- آموزش نظامی و عقیدتی سیاسی
- اسب سواری و تیراندازی
- تأکید بر آموزش تیراندازی و شنا به فرزندان
- مهارت امام باقر(ع) در تیراندازی، الگوی رزمندگان
- آموزشهای عقیدتی- سیاسی
- روحیه
- لزوم آرامش روحی، برای حفظ روحیه در نبرد
- نزول آرامش (سکینه)، بر پیامبر(ص) و مؤمنان
- صندوق عهد، وسیلهای برای آرامش روحی بنی اسرائیل در جنگ
- وعدهها و بشارتهای خداوند، از عوامل تقویت روحیه
- ایمان راسخ به خدا، دور کننده غمها و سستیها
- ایمان از عوامل تقویت روحیه و نترسیدن از دشمن
- تکلیف مداری از عوامل تقویت روحیه
- بیان خسارتها و شکستهای دشمن، از عوامل تقویت روحیه
- انتقام الهی از دشمنانش و یاری مؤمنان از عوامل تقویت روحیه مؤمنان
- یادآوری عاقبت شوم کافران از عوامل تقویت روحیه مجاهدان
- شناخت ناتوانی و ضعف دشمنان از عوامل تقویت روحیه رزمندگان
- صبر و پایداری، از عوامل تقویت روحیه
- امید و بشارت به بهشت، عامل رفع نگرانی، در کلام امام حسین(ع)
- تقدیر و تشویق نیروها، از عوامل تقویت روحیه
- دعا و نیایش، از عوامل آرامش بخش و زداینده رعب و ترس
- نیایش امام علی(ع) در نبرد
- عوامل آرامش و تقویت روحیه در دعاهای امام سجاد(ع)
- سوارهنظام
- سوگند به اسب مجاهدان
- رزمندگان سوارهنظام، مورد عنایت ویژه خداوند
- تجهیز سواره و پیاده نظام از سوی پیامبر هنگام رسیدن به دشمن
- پاداش تهیه و آماده داشتن مرکب برای جبهه
- مَرکب، موجب عزت و نعمت
- اعزام نیرو
- رعایت عدالت در اعزام نوبتی نیروها به جبهه
- عدم رعایت عدالت بنیامیه در اعزم نوبتی نیروها
- لزوم اعزام به موقع نیرو به جبهه
- عشق به حضور در جبهه، به منزله حضور در جبهه جنگ
- معذوران از جهاد
- سقوط تکلیف جهاد از نابینایان، افراد لنگ و بیماران
- سقوط تکلیف جهاد از ناتوانان، بیماران و فقرا
- سقوط تکلیف از تهیدستان و فقیران [نداشتن ساز و برگ جنگی]
- سقوط تکلیف از خانه نشینان (قاعدین)
- سقوط تکلیف جهاد از زنان
- سقوط تکلیف از افراد نابالغ و بردگان
- وظیفه عالمان و پژوهشگران دین، در صورت عدم نیاز به حضورشان در جبهه
- تکلیف افراد ترسو
- عذرخواستن گروهی از بادیه نشینان معذور برای شرکت نکردن در جنگ
- پاداش معذوران
- اخلاص و خیرخواهی معذوران، موجب پاداش الهی
- کمک به همرزم و رها نکردن او در میدان نبرد
- بیتوجهی به همرزم و رها کردن او در میدان نبرد، عملی نکوهیده
- تأکید بر کمک به همرزم در کلام امیرمؤمنان(ع)
- هجرت در راه خدا
- جایگاه و فضیلت هجرت برای جهاد در راه خدا
- پاداش مهاجران مجاهد در راه خدا
- رحمت و مغفرت گسترده الهی، شامل حال مهاجران
- ستایش از مهاجرانی که در سختیهای جنگ تبوک از پیامبر(ص) اطاعت کردند
- یاد و خاطره پیشگامان ایمان از مهاجر و انصار، و دعای تابعین
- لزوم یاری مهاجران
- ویژگیهای مهاجران مکه، تلاش برای جلب فضل و رضوان الهی
- برخورداری مهاجران تهیدست، از مصارف فیء و محبت بیدریغ و ایثار انصار
- هجرت از دارالکفر به دارالایمان، شرط ایمان و برخورداری از امتیازات حکومت اسلامی تا قبل از فتح مکه
- مطلوب نبودن سکونت مسلمانان در دارالحرب، و لزوم هجرت آنان
- حرمت یاری خواستن از منافقان ترک کننده هجرت
- ممنوعیت مهاجرت از شهرها و سرزمینهای فتح شده (دارالاسلام)
- مجروحان و جانبازان
- پاداش مجروحان و آسیب دیدگان جنگ
- رفتار امیرمؤمنان(ع) با مجروحان بغات
- حکم مجروحان دشمن در زمان امام زمان(ع)
- حکم مجروحان در جنگ جمل و جنگ صفین
- شهید و شهادت
- جایگاه ارزشی شهادت، شهیدان زندهاند
- شادمانی شهیدان از نعمتهای الهی و شادی برای همرزمان خود
- شهادت، فرجام یکی از دو نیکویی برای مجاهدان مؤمن
- مغفرت و رحمت پاداش شهادت و مرگ در راه خدا
- شهادت در راه خدا، مرگ انتخابی
- شهادت در راه خدا، با شرافتترین مرگ
- شهادت در راه خدا بالاترین مرتبه نیکی
- شهادت، بهترین درخواست از خدا
- ارزش خون شهید در راه خدا
- شهادتطلبی و استقبال از شهادت در راه خدا
- زمان شهادت
- حکم سرزمینهای فتح شده در جنگ
- درخواست شهادت از خدا، در صورت پیروزی ظاهری دشمن
- مقامات و پاداش شهیدان نزد خداوند
- شهیدان، برخوردار از پاداشی بزرگ
- آمرزش گناهان شهید و ورود به بهشت
- بخشش گناهان شهید جز حق الناس
- شهادت، نتیجه معامله با خدا
- نشان دادن مقام و جایگاه شهیدان کربلا به آنان
- شهید اولین کسی که وارد بهشت میشود
- شهادت راه رسیدن به کمال
- پاداش شهید تا داوری بین بهشت و جهنم
- شهیدان، شفاعت کنندگان در قیامت
- سؤال نکردن از شهید در قبر
- هفت ویژگی برای شهید در کلام رسول خدا(ص)
- پاداش و فضایل شهیدان در کلام امیرمؤمنان(ع)
- شهید برتر
- آرزوی شهید، بازگشت به دنیا و کشته شدن دوباره
- منتظران شهادت در راه خدا
- شهیدان، برگزیدگان خداوند هستند
- فضیلت شهادت مهاجران در راه خدا
- چه کسی شهید است؟
- در حکم شهید و برخوردار از پاداش شهیدان
- گرامی داشت یاد و خاطره شهیدان
- تسلّی دادن به بازماندگان شهیدان، با بشارت به حیات ابدی آنان
- پرداخت دیه به خانواده شهیدان
- آرزوی شهادت بدون عمل
- کیفر به شهادت رساندن امام(ع)
- اسیران جنگی
- جواز گرفتن اسیر از دشمن
- دستور پیامبر(ص) به گرفتن اسیر نیروهایی که به اجبار به جنگ بدر آمده بودند
- حرمت گرفتن اسیر پیش از تسلط کامل بر دشمن
- حقوق و احکام اسیران جنگی
- نکوهش قوم بنیاسرائیل در مورد آواره ساختن اسیران
- تأکید بر خوش رفتاری با اسیران جنگی و اطعام آنان
- سفارش امام علی(ع) به امام حسن(ع) در مورد اسیر خود ابن ملجم
- احکام اسیران، چون سیره رسول خدا(ص)
- آزادی اسیر با منّت یا گرفتن فدیه (سربها)
- ترغیب اسیران مشرک به پذیرش اسلام
- اختیارات امام معصوم(ع) در مورد اسیران
- شیوه امام علی(ع) در آزادسازی زنان اسیر در فتح ایران
- حکم کشتن اسیران جنگی
- حکم اسیرانی که سلاح بر زمین گذاشتهاند
- حکم اسیرانی که مسلمان شدهاند
- حکم فرزندان اسیر مسلمان پس از آزادی از دست کفار
- حکم خرید و فروش اسیران
- حکم اسیران بغات (اهل قبله)
- عدم جواز کشتن و گرفتن فدیه از اسیران اهل قبله
- حکم اسیر گرفتن زنان و کودکان بغات
- حکم اسیران بغات در دست حاکم اسلامی
- حکم اسیران باغی قاتل
- حکم اسیرانی که آزاد شده و دوباره در جنگ شرکت کرده
- تهدید اسیرانی که قصد خیانت دارند
- اسیر دشمن شدن
- به اسارت درآمدن رزمندگان قبل از ناتوانی کامل
- فدیه آزادی رزمندهای که خود تن به اسارت داده است
بخش سوم: اطلاعات و حفاظت اطلاعات
- ضرورت و اهمیت جمعآوری اخبار واطلاعات
- اهمیت جمعآوری اخبار و اطلاعات
- سفارش پیامبر(ص) به اسامة بن زید فرمانده لشکر در جنگ روم
- نداشتن اطلاعات، موجب غافلگیر حوادث شدن
- زیر نظر داشتن عملکرد فرمانده مشکوک
- اطلاعات و حفاظت
- تأکید امام علی(ع) بر اعزام عناصر اطلاعاتی جهت کسب خبر
- فرمان امیر مؤمنان(ع) به مالک اشتر در مورد جمعآوری اطلاعات
- اقدام امیر مؤمنان(ع) بر جمعآوری اخبار از خوارج
- شناسایی نقاط ضعف دشمن
- ضعیف بودن نیرنگ دشمن
- سست بنیاد بودن ریشه دشمنان
- شیطان تضعیف کننده روحیه دشمنان و ترساننده آنان
- فریب و مغرور ساختن دشمنان، بهوسیله شیطان
- عقیم ماندن نقشههای کافران
- ناتوانی دشمنان از مصاف با مردان خدا و فرار آنان
- خداوند خنثی کننده نقشه و مکر کافران
- خداوند در کمین ستمگران
- اتکاء کافران بر موانع و استحکامات فیزیکی و مادّی جنگ فقط
- عدم کارآیی کثرت نیرو و ساز و برگ نظامی دشمنان در مقابل حق و اهل ایمان
- مرعوب و هراسناک بودن دشمنان از لحاظ روحی
- اختلاف و پراکندگی دلها، علیرغم اتّحاد ظاهری
- روحیات فرماندهان دشمن
- توجّه به ضعف و قوّت روحیات فرماندهان دشمن
- شناسایی ویژگی و ماهیت دشمنان
- خشنودی دشمنان از شکست و ناخشنودی از پیروزی و پیشرفت مسلمانان
- جنگافروزی و فساد در زمین و عداوت همیشگی با مسلمانان
- پیمانشکنی و عدم پایبندی به تعهدات خویش
- دنیاطلبی
- کفر به خدا و ارزشهای الهی
- توطئهگری
- ریاستطلبی
- شرارت، جنگافروزی، ستمگری، فساد و فتنهانگیزی
- ضد نماز و عبادت خداوند
- شناسایی اهداف دشمن
- خاموش ساختن نور اسلام
- پیشگیری از گسترش اسلام
- بازگرداندن مسلمانان به کفر و جاهلیت شرکآلود
- اتحاد و پشتیبانی همدیگر علیه مسلمانان
- موضعگیری و توطئه جمعی (عالمان یهود و مشرکان مکه) بر ضد مؤمنان
- پشتیبانی مالی و تأمین هزینه جنگافروزان
- ایجاد جنگ روانی و شبههافکنی و تبلیغات سوء
- مکر و فریب دشمن در سایه صلحطلبی
- ایجاد هیاهو و ارعاب
- پوشاندن و سانسور حقایق از مردم
- ترور و ایجاد شبکههای تروریستی
- عوامل و عناصر اطلاعاتی
- سفارش امام علی(ع) به مالک اشتر، به گماردن عیون
- انتخاب عناصر اطلاعاتی از نیروهای شجاع
- انتخاب مأموران اطلاعاتی از افراد با تقوا
- داوطلب بودن نیروهای اطلاعاتی
- استفاده از عوامل با هوش و با تدبیر
- استفاده از افراد متناسب با مأموریت
- منابع اخبار و اطلاعات
- مردم
- سایر منابع
- ارزیابی اخبار و اطلاعات
- ارزیابی اخبار واصله
- حیطهبندی و طبقهبندی اخبار و اطلاعات
- لزوم طبقهبندی اخبار به عادی، محرمانه و سرّی
- طبقهبندی اطلاعات
- حفظ اسرار نظامی
- تأکید بر حفظ اسرار نظامی
- راز نگهداری بمثابه بستن دهانه مَشک
- سینه خردمند، صندوق راز
- رازداری و اختیار
- پیروزی در گرو رازداری
- نامههای محرمانه
- رازها به مثابه خون رگها
- افشای اسرار
- پیامد افشای اسرار
- نهی از همراز گرفتن دشمنان اسلام و افشای اسرار نظامی
- بیماردلان و گرایش به دشمن
- افشای اسرار نظامی خیانت به خدا و پیامبر(ص)
- انگیزه افشاگران اسرار نظامی، حمایت از خویشان
- جاسوسی
- جاسوسی یهودیان برای مشرکان
- جاسوسی منافقان
- اعزام عناصر نفوذی و جاسوس در صلح حدیبیه
- حکم جاسوس دشمن
بخش چهارم: طرح و عملیات
- جایگاه طرح و عملیات
- ضرورت طرح عملیات یا برنامهریزی
- مشاوره و بهرهگیری از آراء گوناگون
- طراحی عملیات
- ضرورت ترسیم عملیات و اتّخاذ آرایش مناسب برای مقابله با دشمن
- توجه به طرّاحی عملیات و پرهیز از پیشگویی کاهنان
- انتخاب کوفه به عنوان منطقه سوقالجیشی توسط امیر مؤمنان(ع)
- رزمایش
- ضرورت انجام رزمایش برای آمادگی نیروها و ایجاد رعب در دل دشمن
- انجام رزمایش برای توانافزایی نیروها
- پاداش رزمایش نزد خداوند
- تاکتیک
- نقش تاکتیک
- خشمگین و خشن در مصاف با دشمن
- ایجاد رعب در دل دشمن
- محاصره و کمین گرفتن
- محاصره دژهای یهودیان (بنینضیر و بنیقریظه)
- محاصره دژ طائف
- محاصره مسلمانان در جنگ احزاب
- بررسی راهها و مواضع، برای پیشگیری از کمین دشمن
- تمرکز حمله از یک جبهه یا دو جبهه
- پراکنده ساختن نیروهای کمکی و عقبه دشمن
- هدف قرار دادن ستاد فرماندهی دشمن
- حمله و ضربه زدن به نقاط حسّاس و حیاتی دشمن
- بیرون راندن دشمن (یهود بنینضیر) از قلمرو اسلامی
- داخل نشدن در مکانهای نا امن در هنگام نبرد
- عقبنشینی تاکتیکی
- کشاندن جنگ به منطقه دشمن، در جنگهای چریکی
- ایجاد موانع برای پیشگیری از هجوم دشمن در جنگهای دفاعی
- حمله به دشمن به هنگام زوال ظهر، جهت تلفات کمتر
- حمله به پایگاه دشمنان همجوار
- دستورات نظامی پیامبر اکرم(ص)
- فرمانهای نظامی رسول خدا(ص) به فرماندهان و فرمانبران
- دستورات نظامی امیرمؤمنان(ع)
- فرمان نظامی امام علی(ع) به رزمندگان
- دستورات پنجگانه امام علی(ع) به فرمانده لشکر
- سفارشهای امیرمؤمنان(ع) به پرچمدار جنگ جمل
- فرمانهای نظامی فرهنگ موضوعی جهاد در آیینه آیات و روایات
- حکم سرزمینهای فتح شده در جنگ
- امام علی(ع) به فرمانده پیشقراول لشکر صفین، زیاد بن نضر
- دستورات نظامی امام علی(ع) به هنگام مصاف با دشمن
- توصیههای امیرمؤمنان(ع) به رزمندگان، در مورد نماز و قرآن
- تأکید بر رعایت تاکتیکها و مسائل نظامی
- سفارش به رعایت و پایبندی به قوانین و ارزشهای الهی
- نماز خوف در جنگ
- تشریع خواندن نماز خوف در جنگ
- کیفیت نماز خوف
- کیفیت اداء نماز در حالت عادی جبهه
- شیوه اداء نماز در نبرد صفّین
- خواندن نماز خوف در ظهر عاشورا
- آرایش نیرو
- نیروهای آرایش گرفته در مقابل دشمن، محبوب الهی
- تعیین مواضع و آرایش پیکارگران احد به وسیله پیامبر(ص)
- آرایش نیروی رزمی توسط امیر مؤمنان(ع)
- فرمان امام علی(ع) به گرفتن آرایش نظامی در نبرد صفین
- اصول جنگ
- وحدت فرماندهی
- غافلگیری یهود بنی نضیر
- هجوم غافلگیرانه در جنگ ذاتالسلاسل توسط علی(ع)
- تعقیب غافلگیرانه دشمن در حمراء الاسد
- تمرکز قوا
- آفند (تهاجم)
- رعب
- فریب و خدعه
- پرچم و پرچمدار
- پرچم ابراهیم خلیل
- نام پرچم رسول خدا(ص)
- علی(ع) پرچمدار رسول خدا(ص) در جنگها
- ویژگی پرچمدار
- سفارش امام علی(ع) به پرچمدار خود در جنگ جمل
- مبارزطلبیدن در مصاف با دشمن
- لزوم اذن فرماندهی
- پاسخ به هماوردطلبی دشمن و برحذر داشتن امام حسن(ع) از هماوردطلبی
- آغاز جنگ
- ابتدا نکردن به جنگ، مگر بعد از اتمام حجّت
- حفظ هوشیاری و احتیاط
- دستور به حفظ هوشیاری در برابر دشمن
- تأکید بر دور نساختن سلاح از خود
- تبلیغات و جنگ روانی
- تبلیغات و جنگ روانی دشمنان جهت خاموش کردن نور اسلام
- تبلیغات دشمن جهت ارتداد مسلمانان
- شایعه کشته شدن پیامبر(ص) در جنگ احد توسط دشمن
- شیطان، از عناصر مهم ایجاد ترس و عملیات روانی دشمن
- پخش شایعات و اخبار نادرست توسط منافقان
- مقابله با تبلیغات و جنگ روانی دشمن
- پیشگویی قرآن درباره پیروزی قریب الوقوع رومیان بر ایرانیان، جهت مقابله با تبلیغات و جنگ روانی مشرکان در تضعیف روحیه مسلمانان
- ناکارآمدی عملیات روانی دشمن
- تهدید و مقابله با جنگ روانی منافقان
- مقابله پیامبر(ص) با عملیات روانی ابوسفیان در جنگ احد
- خنثی کردن عملیات روانی بغات توسط امیر مؤمنان(ع)
- مقابله امیرمؤمنان(ع) با تبلیغات خوارج
- مقابله امامعلی(ع) با تبلیغات و جنگ روانی معاویه
- پاسخ امام حسین(ع) به شمر
- ایجاد جنگ روانی و تبلیغات علیه دشمن
- جواز جنگ روانی علیه دشمن
- پیروزی رسول خدا(ص) به واسطه رعب
- دعای امام سجاد(ع) علیه دشمنان اسلام
- دعای امام حسین(ع) علیه کوفیان
- نمایش اقتدار ابودجانه، جهت ارعاب دشمن
- جذب فرماندهان دشمن و انصراف آنان از جنگ
- جذب نیروهای دشمن در جنگ طائف
- تلاش امام علی(ع) جهت جذب خوارج
- شیوه امام علی(ع) در جذب نیروهای مخالف
- شیوه تبلیغی امام حسین(ع) جهت انصراف کوفیان از جنگ
- تشریح عملکرد منفی دشمن به جای ناسزاگویی از شیوه عملیات روانی
- دستور پیامبر به انتخاب شعار قبل از شروع جنگ، از شیوههای جنگ روانی
- شعار مسلمانان در جنگها
- شعار امیر مؤمنان(ع) در جنگها
- شعار امام حسین(ع) در کربلا
- امان و پناهندگی
- جواز امان و پناهندگی
- رعایت شئون اسلامی در مورد پناهنده
- نهی از قتل پناهنده
- شرط قبولی اماننامه اهل کتاب
- جواز دادن پناهندگی از سوی نیروها
- منع دادن اماننامه از سوی اهل ذمه یا مشرک همراه مسلمانان
- پس از پیروزی
- سپاسگزاری از خداوند
- پایدار ماندن در حقّ و گمراه نشدن
- عفو دشمن پس از پیروزی
- رزمندگان بازگشته از جبهه
- روایت فتح
- قرآن مهمترین منبع روایت جنگهای پیامبران و صدر اسلام
بخش پنجم: تجهیزات و پشتیبانی
- سلاح و تجهیزات
- دستور خداوند به فراهم کردن سلاح و تجهیزات
- اقدام پیامبر(ص) در تهیه سلاحهای پیشرفته برای استفاده در جنگ طائف
- امیر مؤمنان(ع) و تهیه سلاح و مهمات
- آمادهسازی تجهیزات و سلاح قبل از نبرد
- خیر و برکت در اسب و شمشیر (نماد تجهیزات)
- پاداش آماده کردن مرکب سواری برای جبهه
- در دسترس بودن سلاح در تمام شرایط جنگ
- استفاده از سلاحهای غیر متعارف در جنگ
- منع سلاحهای شیمیایی
- ممنوعیت خروج تسلیحات به دست آمده از سرزمین اسلامی توسط مشرکان
- انهدام تجهیزات در سرزمین دشمن
- صنایع نظامی
- آهن و تحوّل اساسی در ساختن سلاح
- خلع سلاح دشمن
- فرمان ساختن سلاح دفاعی (زره) به داود(ع)
- پاداش اقدامکنندگان به ساختن سلاح
- وجوب جهاد مالی و تأمین هزینه جنگ، در راه خدا
- عدم تأمین هزینههای جنگ موجب تضعیف و آسیب دیدن خودتان
- تشویق مؤمنان به جهاد مالی
- ارزش جهاد مالی در راه خدا
- جهاد مالی همسنگ جهاد جانی
- مالیات، پشتوانه هزینه سپاهیان اسلام
- جهاد با مال و جان از لوازم ایمان
- پاداش جهاد مالی
- پاداش کمکهای مالی برای کسانی که توان جهاد ندارند
- دعای امام سجاد(ع) برای کمککنندگان به جبههها
- ارزش جهاد مالی قبل از فتح
- خشنود نبودن منافقان از جهاد مالی در راه خدا
- عدم قبول کمکهای مالی منافقین به جبهه
- پاداش نیروهای پشتیبانی همانند نیروهای رزمی
- بهداری رزمی
- وظیفه امدادگران در میدان نبرد
- همراه داشتن دارو در سفر
- حمل مجروحان به پشت جبهه برای درمان
- غنایم جنگی
- نبودن کسب غنائم از اهداف مشروع جهاد
- سیره امام علی(ع) در غنیمت نگرفتن اموال و ملزومات شخصی دشمن
- غنایم جنگی، دستاورد جهاد
- حلال شدن غنایم جنگی برای رسول خدا(ص) و امت او
- غنایم جنگی، روزی پاک و حلال
- اموال چه کسانی غنیمت محسوب میشود؟
- اموال مشرکان و کفار حربی
- اموال غیر منقول مشرکانی که اسلام آوردهاند
- حکم اموال مسلمانی که از کفار پس گرفته شود
- حکم اموال بغات
- اموال برجای مانده در لشکرگاه، جزو غنایم جنگی
- حلال نبودن اموال در دارالاسلام
- حکم غنایم
- غنایم جنگی از آن خدا و رسول او
- سیره رسول خدا(ص) ملاک و شاخص معرف غنایم
- غنایم، حقوق بازگشته مؤمنان
- اختیار غنایم به دست پیامبر(ص)
- سهام و مصارف غنایم
- خمس غنایم از آن خدا و رسول خدا(ص)
- اموال برگزیده (صفو المال) از غنایم، متعلق به امام(ع)
- سهم مهاجر و انصار مدینه
- سهم رزمندگان
- سهم سوارهنظام و پیاده نظام از غنایم
- اختصاص غنایم جنگی به رزمندگان حاضر در جبهه
- سهم لشکر الحاقی به رزمندگان از غنایم
- سهم نوزادان از غنایم جنگی (که در منطقه جنگی به دنیا آمده)
- سهم مسلمان در دار الحرب که قبل از جمعآوری غنایم جنگی بمیرد
- توزیع عادلانه غنایم جنگی
- تصرف در غنایم
- عدم جواز تصرف در غنایم قبل از تقسیم و جواز استفاده آن در جنگ
- حرمت خیانت و دستبرد به غنایم
- محرومان از غنایم
- عدم تعلق غنایم به بادیهنشینان
- محرومیت تازه مسلمانان از غنایم جنگی
- عدم تعلق غنایم جنگی به زنان حاضر در جبهه
- عدم تعلق غنایم جنگی به غیر مجاهدان
- چشمداشت منافقان به غنیمت، هدف شرکت در جنگ
- خرید و فروش غنایم جنگی
- جواز خرید و فروش غنایم جنگ بعد از تقسیم
- انهدام و نابود کردن غنایم جنگی غیر قابل انتقال
- نابود کردن غنایم جنگی غیر قابل انتقال
- حکم سرزمینهای فتح شده در جنگ
- حکم سرزمینهای فتح شده در اختیار امام عادل
- منابع و مآخذ
جهاد و نظام دفاعی در قرآن
- مقدمه
فصل اول: مفاهیم و کلیات
- الف) مفاهیم
- معنای لغوی و اصطلاحی «جهاد»
- معنای «قتال»
- معنای «فی سبیل الله» و «فی سبیل الطاغوت»
- تأملی بیشتر در معنای «فی سبیل الله»
- معنای «شرک»
- معنای «کفر»
- اقسام پنج گانه کفر
- ۱. کفر از نوع انکار ربوبیت خدا
- ۲. انکار بر معرفت
- ٣. کفران نعمت
- ۴. ترک دستورهای خداوند
- ۵. کفر برائت
- معنای «نفاق»
- معنای «اهل کتاب»
- معنای «بغی»
- معنای «غزوه و سریه»
- معنای «خدعه»
- معنای «غَدرْ»
- معنای «شهادت»
- معنای «صلح»
- معنای «اسیر»
- معنای «فدیه»
- معنای «انفال»
- معنای «غنیمت»
- معنای «فیء»
- معنای «جزیه»
- معنای «جند»
- معنای «حسادت»
- ب) کلیات
- اهمیت فوقالعاده جهاد
- معرفت، مبنای جهاد
- جایگاه هجرت و جهاد
- جهاد، جنگ عقیدتی به شخصیتی
- انواع جهاد
- مقدمه
- ١. جهاد ابتدایی
- تحلیل و بررسی آیات جهاد ابتدایی
- آیات نخست
- آیات دوم
- آیه سوم
- آیه چهارم
- آیه پنجم
- آیه ششم
- آیه هفتم
- نتیجه بررسی آیات
- سیره رسول خدا(ص) در جنگ ابتدایی
- نظر امام خمینی
- جنگ ابتدایی در روایات
- بررسی یک روایت برای نمونه
- جهاد ابتدایی در عصر غیبت
- مشروط بودن جهاد ابتدایی به اذن ولی فقیه عادل
- نتیجه
- جهاد ابتدایی، مصداقی از «دفاع»
- ٢. جهاد دفاعی
- ادله اهمیت جهاد دفاعی بر جهاد ابتدایی
- ۱. متفاوت بودن اهداف در جهاد دفاعی و ابتدایی
- ۲. مطلق بودن وجوب جهاد دفاعی، مشروط بودن جهاد ابتدایی
- ۳. معتبر بودن اذن در جهاد ابتدایی و عدم آن در جهاد دفاعی
- ۴. همکاری با جائر در جهاد دفاعی، بر خلاف آن در جهاد ابتدایی
- ۵. جهاد دفاعی وظیفهای همگانی، جهاد ابتدایی مقید و مشروط
- ۶. دفاع در برابر هر تعداد از کفار، مشروط بودن جهاد ابتدایی در تعداد دشمن
- ۷. دفاع در هر زمان و مکان، جهاد ابتدایی مقید به زمان و مکان خاص
- ۸. اجبار مردم به حضور در دفاع، بر خلاف آن در جهاد ابتدایی
- ۹. ضرورت تأمین مخارج جهاد از سوی مردم در جهاد دفاعی
- ۱۰. وجوب مطلق مرزبانی
- ۱۱. لزوم دفاع در برابر هر دشمن، وجود دشمن خاص در جهاد ابتدایی
- ۱۲. نقض عهد و امان در صورت ضرورت در جهاد دفاعی
- جهاد علمی مصداق جهاد دفاعی
- دفاع از حق انسانیت
- مطرح نبودن مرز جغرافیایی در دفاع از انسانها
- ٣. جهاد علیه شرک و بتپرستی
- ۴. جهاد اکبر و جهاد اصغر
- ۵. جهاد با مال و جان
- گروههای پنجگانه دشمن
- ١. جنگ با مشرکان
- ۲. جنگ با کفار
- ٣. جنگ با اهل کتاب
- ۴. جنگ با منافقان
- ۵. جنگ با اهل بغی
- شرایط مجازات آشوبگران (بغات)
- یهودیان و مشرکان، بدترین دشمنان
- نمونهای از تعامل مسیحیت با اسلام در آغاز بعثت
- جهاد از منظر علامه طباطبائی
- فطری بودن زندگی اجتماعی
- دلیل حق دفاع
- دستهبندی آیات جهاد از دیدگاه علامه
- قتال علیه کفر و شرک در لفافه
فصل دوم: علل وقوع جنگ و آثار زیانبار آن
- الف) علل وقوع جنگ
- ۱. تضاد قانونخواه و تجاوزگر
- ۲. تجاوز به اعتقاد، فرهنگ و سرزمین
- ٣. بُعد خاکی و مادی بودن انسان
- ۴. جنگ راه حل پیشگیری از جنگ
- الف) از راه بلاهای آسمانی
- ب) عوامل طبیعی
- ج) عامل انسانی
- ۵. برتریجویی و استکبار
- ۶. حسادت و بخل
- حسادت قابیل عامل قتل برادر
- حسادت برادران، عامل مصیبتها
- ۷. «لجاجت»، تعصب و اصرار بر خواستههای خویشتن
- ۸. ترس از گرسنگی
- ۹. فراموش کردن خداوند
- ۱۰. وسوسه شیطان
- ۱۱. بیایمانی، بیحرمتی و ناحقی
- ب) آثار و پیامدهای زیانبار جنگ
- ۱. سلب امنیت و آرامش
- ۲. آوارگی
- ٣. اسارت و بردگی
- ۴. اشغال سرزمینها
- ۵. جراحت و معلولیتهای جنگی
- ۶. خسارتهای جانی
- ۷. ذلت و تحقیر شخصیتها
- ۸. تحریم و افزایش سختیها
فصل سوم: فلسفه تشریع جهاد
- مقدمه
- دفاع از مظلومان
- دفاع از مقدسات
- اصلاح جامعه و جلوگیری از فساد
- احیاء مسلمانان و مؤمنان
- عمل به سنت الهی
- دفاع از نفس، جان و احقاق حقوق
- جبران ضعف اقتصادی
- حاکمیت خداوند بر جهان
- پرورش روح انضباط و تسلیم در برابر اراده الهی
- پیشگیری از حمله دشمن یا فکر حمله
- ترساندن دشمن
- آرمانخواهی نه مادیگرایی
- اسلامخواهی و پاداشهای آخرتی
- جنگ برای رفع فتنه
- آزمودن انسانهای مؤمن
- جلوگیری از سلطه مطلق باطل
- حکمتهای دیگر
فصل چهارم: تربیت جهادی، آثار و آداب آن
- مفهوم تربیت جهادی
- اهمیت تربیت جهادی
- آثار و آداب تربیت جهادی
- الف) آثار مثبت فردی
- نیل به جهانبینی خاص توحیدی
- نیل به ایمان راسخ به وعدههای الهی
- انقطاع الی الله
- تربیت مبارز
- نیل به مقام صبر و استقامت در ابتلائات و شرایط سخت
- نهراسیدن از مرگ و شهادتطلبی
- خودباوری و شهامت اقدام
- پرکاری و کمتوقعی
- آسانی تهجد
- نیل به مقام محسنان
- نیل به مقام متقیان
- بصیرت دینی
- خروج از لغزشها
- تقرب، رستگاری و فرجام نیک
- تکفیر (پوشش) گناهان
- جداسازی صفوف مجاهدان راستین
- نیل به حیات واقعی
- نیل به مقام پاسداری دین خدا
- خیر دیدن
- پیوند خوردن اراده الهی به اراده مجاهد
- رزق و روزی نیک
- مرهم دلها و فرو کشیدن خشمها
- محبت خدا
- نجات از عذاب
- هدایت خاص
- ب) آثار مثبت اجتماعی
- آمادگی دائمی در برابر کید دشمنان
- نیل به عزت و جامعه اسلامی
- دمیده شدن روح امید در جامعه
- مشمول مغفرت و رحمت الهی شدن
- مصونیت جامعه
- مددکاری
- کیفر، ذلت و هلاکت دشمنان
- ج) آداب جهاد
- آداب فردی جهاد
- ۱. اخلاص
- ۲. استغفار
- ۳. پرهیز از سستی
- ۴. پرهیز از غرور
- ۵. توکل
- ۶. ذکر خدا
- آداب جمعی جهاد
- ۱. نظم
- جلوههای نظم و انضباط در امور نظامی
- صفآرایی
- نظام صف
- سازمان خمیس
- ۲. اتحاد
- ۳. احسان
فصل پنجم: جهاد اسلامی و نیروی انسانی
- مقدمه
- الف) ویژگیهای برجسته پیامبر(ص) در میدان کارزار
- ١. شجاعت
- ۲، بنیه نیرومند
- ٣. شخصیت برجسته و بانفوذ
- فرمانهای صریح و روشن
- ۴. آرامش
- ۵. روانشناسی و شناخت استعدادها
- ۶. محبت متقابل
- ۷. دوراندیشی
- ۸. مساوات با رزمندگان
- ب) فضیلتهای مجاهدان
- برخورداری مجاهد از اصل آزادی و اختیار
- خداوند فرمانده و یاور مجاهدان
- حوادث جنگ بدر
- یاد خدا علت پیروزی مجاهدان
- مجاهدان، اهالی توحید در تقابل توحید و شرک
- سوگندهای پیوسته خداوند برای مجاهدان
- مجاهدان، عاشق جهاد
- پاداش ویژه برای مجاهدان
- برتری مجاهدین بر قاعدین
- برتری پیشکسوتان در جهاد با مال و جان
- مهاجرت و مجاهدت معیار همپیمانی و مودت
- مجاهدان و توسل
- توانمندی چند برابر مجاهد در برابر دشمن
- داستان ابتدای بعثت
- پیروزی مجاهدان علیرغم نابرابری با قوای دشمن
- معامله با خداوند
- ج) شیوههای انگیزش و پرورش مجاهدان
- مقدمه
- الف) شیوههای عام انگیزش و پرورش مجاهدان
- روش تبشیر و انذار
- نمونههایی از آیات مربوط به «تبشیر» در زمینه جهاد
- بشارت به نعمتهای اخروی
- مژده به نعمتهای دنیوی
- ستایش جهادگران
- نمونههایی از آیات مربوط به «انذار»
- نکوهش از ترک جهاد، شیوهای دیگر برای انذار
- ب) شیوههای خاص انگیزش و تربیت جهادگران
- تحریک غریزه انتقامجویی و احقاق حق
- تحریک عواطف انسانی
- تبیین اهداف مقدس جهاد
- جهادگران، ایادی خداوند
- توجه به عوامل بازدارنده و خنثی کردن آنها
- جبران خسارتهای اقتصادی
- آموزش مسئله قضا و قدر
- توجه به عمومیت و تأثیر مثبت سختیها
- آموزش حقیقت مرگ و شهادت
- محدود بودن عمر و حتمی بودن مرگ
- مرگ انتقال است نه نیستی
- آینده و سرنوشت شهید
- تضعیف روحیه دشمن و تقویت روحیه مسلمانان
- د) جندالله و جند الشیطان در قرآن
- مقدمه
- ویژگیهای «جندالله»
- ۱. بیشماری سیاهیان خدا
- ٢. لشکریان آسمانی و زمینی
- ٣. خداوند مالک سپاهیان
- ۴. لشکریان خدا مظهر حکمت الهی
- ۵. لشکریان خدا مظهر عزت الهی
- ۶. لشکریان خدا تحت علم الهی
- ۷. لشکریان نامرئی خدا
- ۸. لشکریان همیشه پیروز
- ۹. آثار و برکات جنود الهی
- ۱۰. ایجاد آرامش
- ۱۱. ابزار امتحان کافران و بیماردلان
- ۱۲. پیروزی و موفقیت
- ۱۳. ابزار تهدید کافران
- ۱۴. پاسداری از اماکن مقدس
- ۱۵. کیفر و مجازات کافران و دشمنان خدا
- ۱۶. امدادهای غیبی
- مهمترین مصادیق لشکریان خدا
- جندالشیطان در برابر جندالله
- قطعی بودن امدادهای غیبی
- پیامبران و درخواست امدادهای غیبی
- موارد امدادهای غیبی
- سپاه نامرئی
- فرشتگان امدادگر
- خواب کوتاه و سبک
- نزول باران
- ایجاد آرامش در قلبهای مؤمنان
- ایجاد ترس در دل دشمنان
- بادهای ویرانگر
- کم جلوه دادن لشکر دشمن
- استوار ساختن گامهای مجاهدان
- فرستادن لشکر پرندگان
- دلمحکمی
- رهایی انسان از تنگناها
- بر هم زدن نقشههای دشمنان
- حراست از گزند دشمنان
- شرایط برخورداری از امدادهای غیبی
- ۱. ایمان
- ٢. توحید در اراده
- ٣. پارسایی
- ۴. یاری دین خدا
- ۵. جهاد
- ۶. بردباری
- ۷. پاکی انگیزهها
- ۸. پارسایی در اسباب مادی
- ۹. استغاثه
- ه) وظایف مجاهدان
- مقدمه
- مرزبانی از دین و مرزهای اسلامی
- تعیین موضع درباره جهاد
- صبر و استقامت
- آمادهباش دائمی (بسیج عمومی)
- توانمندسازی قدرت نظامی
- وحدت کلمه و وحدت عمل در برابر دشمن
- وحدت کلمه
- وحدت عمل
- اعلام جهاد علیه کفار و منافقان
- لزوم یقین مجاهدان
- تسبیح و تحمید خدا بعد از پیروزی
- حفظ اسرار نظامی
- پایداری در عهد و پیمان
- همراهی مهر و قهر
- وظایف زنان در جهاد
- بیعت
- هجرت
- جنگ و جهاد زنان
- امان دادن
فصل ششم: تاکتیکها و شیوههای نظامی
- مقدمه
- الف) تاکتیکهای جنگی
- قاطعیت همراه با نرمش
- لزوم رتبهبندی کردن دشمنان
- لزوم اتمام حجت دشمنان
- تهدید برای بیداری و عبرت
- قتال بعد از حق انتخاب
- تبیین قلمرو منطق و زور
- ترساندن دشمن (جنگ روانی)
- تهدید به جهاد
- نمایش قدرت (مانور)
- نشانه گرفتن قرارگاه مرکزی دشمن
- تحمیل شرایط خارج شدن دشمن از سنگرها
- مرحله به مرحله بودن نقشه عملیات
- سرعت عمل، شبیخون و غافلگیری
- جنگ ضربتی (برقآسا)
- تعیین مجازات سخت برای محاربان و کفار
- فراهم کردن تجهیزات حفاظت شخصی در جنگها
- ب) شیوههای نظامی
- شرکت در جنگ
- سعی بر کاهش تلفات
- تکیه بر نیروهای خودی
- رعایت اصول نظامی و مخفیکاری
- استفاده از تجهیزات نظامی
- جنگ در سرزمین دشمن
- باز گذاشتن باب گفتوگوی سیاسی
- موقعشناسی (زمانشناسی)
- مشورت با فرماندهان سپاه
- مشورت در جنگ بدر
- مشورت در جنگ احد
- مشورت در جنگ احزاب
- مشورت در جنگ خیبر
- مشورت در جنگ تبوک
- حفظ یکپارچگی سپاه
- تشویق سپاهیان کار آمد
- آزادسازی اسیران
فصل هفتم: احکام فقهی نظامی و جنگی
- مقدمه
- وجوب رعایت احکام خدا درباره جهاد
- حکم بهانهجویان از جهاد
- حرمت فرار و تخلف از جنگ
- دیدگاه منافقان در تخلف از جنگ
- آثار فرار یا تخلف از جنگ
- ١. کوردلی
- ۲. زمره ظالمان
- ٣. اندوه، گریه و آتش جهنم
- ۴. فسق، سرگردانی و خسران
- ۵. غضب الهی
- ۶. فساد، قطع رحم و فتنه اجتماعی
- ۷. نزدیک شدن به کفر
- ۸. محرومیت از جهاد، رحمت و رضایت خداوند
- ۹. هلاکت
- عوامل تخلف و فرار از جهاد
- ۱. بیمار دلی
- ۲. تنبلی
- ٣. ثروت
- ۴. ترس
- ۵. دلبستگی به زندگی دنیا
- ۶- دلبستگی به فرزند
- ۷. بیایمانی و نفاق
- موانع تخلف از جهاد
- کیفر تخلف از جهاد
- فرمان عفو عمومی
- عفو، مغفرت و مشورت
- عفو، مغفرت، مشورت و تصمیمگیری
- عفو، مغفرت، مشورت، تصمیمگیری و توکل
- ممنوعیت حمله به غیر نظامیان
- ممنوعیت قطع درختان در منطقه جنگی
- حرمت جنگ و ضرورت دفاع در مسجدالحرام
- ممنوعیت جنگ در ماههای حرام
- حرمت نبرد، با مدعیان اسلام
- حکم نماز جماعت در میدان جنگ
- نماز خوف در جنگ
- نماز امام حسین(ع) در ظهر عاشورا
- ۱. وظیفه دینی و شرعی
- ۲. نشان دادن اهمیت نماز و احکام شرع
- ٣. باطلسازی تبلیغات دروغین دشمن
- وجوب همراه داشتن سلاح در حال نماز
- وجوب شکسته خواندن نماز در صورت خوف از دشمن
- عمومیت یا مشروط بودن به خوف در نماز شکسته
- نماز قصر واجب عینی یا واجب تخییری؟
- وجوب مقابله به مثل در جهاد دفاعی
- گونههای متفاوت مقابله به مثل
- ۱. مقابله به مثل در جنس عمل
- ۲. مقابله به مثل نوعی و صنفی
- ٣. مقابله به مثل جنسی، نوعی، صنفی و بازدارنده
- ۴. مقابله به مثل جنسی، نوعی، صنفی، شرعی
- مقابله به مثل در جنگهای روانی و فرهنگی
- وجوب مقابله به مثل در جنگ روانی
- موارد حرام بودن جهاد با دشمن مانند کافران و مشرکان از دیدگاه قرآن
- الف) مشرکان متمایل به پذیرش اسلام
- ب) مشرکان متعهد، کنارهگیر و پیشهاد دهنده صلح
- دشمنان مدعی اسلام
- حرمت زیر پا گذاشتن قوانین جهاد
- وجوب جهاد با سردمداران پیمانشکن کافر
- واجب کفایی بودن جهاد با کافران
- لزوم مبارزه با منافقان
- ممنوعیت اخلالگری در لشکر اسلام
- ممنوعیت سستی و اختلاف در لشکر اسلام
- ممنوعیت اطاعت از کفار و دوستی با آنها
- حکم خدعه و غَدر در جنگ
- تفاوت خدعه و غدر
- خدعه در قرآن
- خدعه از نظر عقل
- خدعه از نظر فقهی
- غدر از نظر فقهی
- پیامبر اکرم(ص) و خدعه در جنگ
- خدعه از دیدگاه حضرت علی(ع)
- خدعههای امام علی(ع) در میدان جنگ
فصل هشتم: اطلاعات و ضد اطلاعات
- ضرورت معاونت اطلاعات و ضد اطلاعات در لشکر اسلام
- آسیبهای نداشتن معاونت اطلاعات
- بررسی آیات و روایات
- حفاظت اطلاعات در سیره پیامبر(ص)
- جمعآوری اطلاعات
- حفاظت اطلاعات
- لیلة المبیت و حفاظت اطلاعات
- هوشیاری از عوامل نفوذی
- پیشگیری از لو رفتن نقشه
- محرمانه بودن اطلاعات
- مخفی کردن برخی اخبار شادیبخش
- اعزام عوامل نفوذی در درون دشمن
- رمز شب
- عملیات ضد جاسوسی
- تاکتیک اطلاعاتی
- تخلیه اطلاعاتی
- گزارش مأموران اطلاعاتی
- شناسایی خصوصیات منطقه نبرد و نمونههای آن
- شناسایی محل دید و تیر و تأثیر آن در عملیات
- نکته
- نمونهها
- شناسایی موانع طبیعی منطقه نبرد و تأثیر آن در مانور نیروها
- نمونهها
- نکته
- ضرورت اطلاعات زمان عملیات
- نمونهها
- شناسایی مردم منطقه
- اطلاعات از عِده و عُده دشمن
- شناسایی جنگافزارهای دشمن
- نمونه
- رویارویی از یک جناح
- نمونهها
- اطلاعات از به کارگیری دفعی یا تدریجی امکانات از سوی دشمن
- نمونه
- شناسایی تعیین مسیر احتمالی حرکت دشمن
- آگاهی از زمان ورود دشمن به منطقه نبرد
- اطلاع از ترکیب دشمن
- آگاهی از کیفیت گسترش و موقعیت دشمن
- نمونهها
- آگاهی از فرماندهان و مقر آنان
- نمونهها
- اقدامات ضد جاسوسی علیه دشمن
- کسب اطلاعات لازم برای اختلافافکنی در لشکر دشمن
- اطلاعات از نقاط قوت و ضعف دشمن
- اطلاعات از امکانات ضروری و حیاتی دشمن
- نمونهها
- آگاهی از فاصله مکان تدارکات و لجستیکی دشمن با خط مقدم
- نمونه
- به کارگیری اطلاعات در جنگها
- دو نکته
- شناسایی فنون جاسوسی دشمن
فصل نهم: معافشدگان و معافناشدگان از جهاد
- الف) معافشدگان از جهاد
- مقدمه
- ضعیفان، بیماران و محرومان از امکانات جنگی
- وجود موانع
- زنان، کودکان، نابینایان، لنگان
- ب) معافناشدگان از جهاد
- عذرآورندگان بدون دلیل و عدم پذیرش عذر
- عذرخواهی پساجنگ و عدم پذیرش عذر
- عدم رضایت از متخلفان در پساجنگ
- مرخصی بدون دلیل قبل از جنگ و عدم پذیرش آن
فصل دهم: نقش تبلیغات و جنگ روانی در جهاد
- الف) الزامات نرمافزاری تبلیغات در جهاد
- الزامات نرمافزاری جهاد اسلامی
- شرح صدر
- آسان کردن سختیها
- زبان گویا و قدرت بیان
- کار تشکیلاتی و ستادی
- برخورداری از منطق و بیّنه
- برخورد نرم قبل از جنگ سخت
- ب) تبلیغات در جنگ
- تأثیر تبلیغات در تهییج مجاهدان
- تبلیغات منطقی و هیجانانگیز
- استفاده از عواطف انسانی در تبلیغات
- استفاده از واژههای انرژیبخش
- روحیهبخشی
- ج) جنگ روانی در قرآن کریم
- پیشینه جنگ روانی
- تعریف جنگ روانی
- تقسیم آیات در میدان جنگ نرم
- روایات مؤید جنگ روانی
- استراتژی دعوت، مؤید دیگر جنگ روانی
- جنگ روانی از دیدگاه عقل
- چارچوب جنگ روانی در اسلام
- جنگ نرم، جنگ تسخیر قلوب و اذهان
- قرآن و تخریب روحیه دشمن در جنگ نرم
- جنگ اسلام و کفر، جنگ گفتمانها
- هماوردطلبی در جنگ نرم
- د) ابزار و شیوههای جنگ روانی دشمن
- مقدمه
- ابزارها و روشهای متفاوت در جنگ نرم
- روشهای دشمن در جنگ نرم
- افک و افترا (ترور شخصیت)
- شخصیتسازی
- روش ارتداد
- شایعهسازی
- فتنهگری
- تمسخر و استهزا
- تضعیف رهبری
- تهمت زدن به رهبر
- تلاش در تحقیر نمودن رهبر
- تلاش برای گمراه نمودن رهبر
- تفرقهافکنی
- تهدید و ارعاب
- تهدید به تبعید و آوارگی
- تهدید به قتل و مثله شدن
- آتشافروزان جنگ نرم از نظر قرآن
- ١. شیطان
- ۲. کافران
- ۳. یهود و مشرکان
- ۴. منافقان
- د) راههای مقابله به مثل در جنگ روانی
- روش مقابله به مثل در جنگ روانی
- تقویت ایمان، تقوا و صبر
- آمادگی تمامعیار
- تخطئه دشمن
- هراسانگیزی و بازدارندگی
- فنآوری و برنامهریزی در فضای مجازی و غیر آن
- دوست نشدن با دشمنان
- جهاد و مبارزه
- و) نقش شایعه در جنگ روانی
- مقدمه
- انتشار شایعه، آسیب شایعه
- شایعهسازی کفار در غزوه احد
- شایعهسازی کفار در غزوه حمراء الأسد
- شایعهسازی کفار در غزوه بدر صغری
- شایعهسازی منافقان در جنگ أحزاب
- شایعهسازی منافقان در جریان جنگ تبوک
- بسترهای مؤثر در شکلگیری شایعه
- اهمیت و ابهام
- تأخیر در اطلاعرسانی
- نداشتن ارزیابی صحیح
- تحصیل اطمینان
- اهداف و انگیزههای شایعهسازان
- القای خوف و وحشت
- تضعیف توان روحی مؤمنان
- فریب افکار عمومی
- ایجاد سستی در عزم و اراده نیروها
- ایجاد اختلاف و تفرقه
- طبقهبندی شایعهسازان
- عوامل داخلی و خارجی
- افراد ضعیف الایمان
- راههای رویارویی با شایعات
- ابهامزدایی
- ارجاع خبر به اهل تشخیص
- تحقیق و بررسی اخبار و گزارشها
- تکذیب شایعه
- شایعهسازی علیه دشمنان اسلام
- ز) نقش رجزخوانی، اسم رمز و خطبهخوانی در جنگ روانی
- رجزخوانی
- شعار رزمی و حماسی
- لافزنی و تظاهر به قوی بودن
- ایراد خطبه و سخنرانی به خصوص در شروع جنگ
- رجزخوانی و نمونهها
- رجزهای دشمنان
- پیامهای رجزهای امام حسین(ع) و یارانش
- رجزخوانی سه برادر حضرت عباس(ع)
- رجزخوانی عون و محمد فرزندان حضرت زینب(س)
- رجزخوانی عبدالله و عبدالرحمن غفاری
- رجزخوانی منحصر به فرد حضرت عباس(ع) در کربلا
- اهداف جنگ روانی
فصل یازدهم: شهادت در کلام وحی
- مقدمه
- معنای شهادت در فرهنگ اسلام
- فتح یا شهادت یکی از دو نیکی
- جایگاه شهیدان
- چگونگی زنده بودن شهیدان
- پاداش شهیدان
- شفاعت شهیدان
- مبانی فقهی عملیات شهادتطلبانه
- ایثار و شهادت از ویژگیهای ادیان الهی
- فرهنگ جهاد و شهادت از عوامل پیروزی
- شهادتطلبی برترین افتخار
- شهادتطلبی رمز موفقیت اسلام
- تلاش دشمن برای کمرنگ کردن فرهنگ شهادت
- تبیین عملیات استشهادی
- ماهیت عملیات استشهادی
- عملیات استشهادی یا انتحاری؟
- ادله مشروعیت عملیات استشهادی
- ۱. آیات قرآن
- جهاد در راه خدا
- جانبازی در راه خدا
- ضرورت آمادگی نظامی
- ۲. روایات
- ٣. سیره پیامبر و اولیای خدا
- بیان چند اصل و قاعده
- حکم سپر قرار گرفتن بیگناهان در جنگ
- چگونگی استدلال برای مورد بحث
- حکم افراد بینقش در جنگ
- وجوب دفاع به هر قیمت و کیفیت
- لزوم استقامت تا شهادت
- جواز حمله به قلب لشکر دشمن
- چگونگی استدلال
- حکم انتخاب مرگ ضروری
- حفظ اسرار نظامی تا سرحد مرگ
- جواز مراجعه مستحق حدّ و قصاص به حاکم
- جمعبندی
فصل دوازدهم: صلح و شرایط آن در جهاد
- قرآن، منشور صلح جهانی
- صلح در سنت پیامبر(ص)
- وجوب صلح و حرمت جنگ بین مؤمنان
- پرهیز از پیشنهاد صلح بیجا و ذلتبار
- آمادگی برای صلح معقول
- هوشیاری لازم درباره خدعه دشمن در پیشنهاد صلح
- آتشبس اجباری در ماههای حرام
- اصل صلح و مسالمت در روابط بینالملل
- ممنوعیت قتل نفس
- دعوت مطلق مؤمنان به صلح و سلم
- صلح و سلم مشروط
- روابط بر اساس ملاک و معیار
- بیان ملاک برای جنگیدن
- جمعبندی
فصل سیزدهم: اسیران جنگی
- شرایط اسیر گرفتن در جنگ
- احکام اسرای جنگی
- «فدیه» و مبادله اسیران جنگی
- برنامهریزی فرهنگی برای اسیران جنگی
- حکم اسیر شدن
- نتیجهگیری آیات مربوط به اسیران
فصل چهاردهم: انفال، غنایم، فیء و جزیه
- انفال در قرآن و احکام آن
- معنای تفصیلی «غنیمت»
- حکم غنایم و اموال منقول جنگی
- حکم «فیء»
- تفاوت «انفال» با «فیء»
- موارد ششگانه مصرف «فیء»
- موضوعات دوازدهگانه «انفال»
- رابطه «فدک» و «فیء»
- «جزیه» در اسلام
- تذکر
فصل پانزدهم: تدارکات و پشتیبانی
- مقدمه
- ارزش تدارک قبل از جهاد
- فلسفه وجوب جهاد مالی
- جهاد مالی، نشانه ایمان
- مشارکت عمومی در جهاد مالی
- جهاد مالی، ضامن استقلال و شرف
- اثر جهاد مالی با بیرغبتی
- جهاد مالی، بهترین اعمال و پاداشها
فصل شانزدهم: غزوات و سریههای ذکر شده در قرآن
- جنگهای صدر اسلام ذکر شده در قرآن
- مقدمه
- «غزوات» نقلشده در قرآن کریم
- ۱. غزوه بدر کبری
- ۲. غزوه بنی قینقاع
- ٣. غزوه غطفان (ذی آمر)
- ۴. غزوه احد
- ۵. غزوه حمراء الأسد
- ۶. غزوه بنی نضیر
- ۷. غزوه ذات الرقاع
- ۸. غزوه خندق (احزاب)
- ۹. غزوه بنی قریظه
- ۱۰. غزوه بنی مصطلق
- ۱۱. غزوه حدیبیه
- ۱۲. غزوه خیبر
- ۱۳. غزوه فتح مکه
- ۱۴. غزوه حنین
- ۱۵. غزوه تبوک
- سریههای نقلشده در قرآن
- ۱. سریه عبدالله بن جحش
- ۲. سریه رجیع
- ۳. سریه ذاتالسلاسل
- غزوههای ذکر نشده در قرآن
- برخی سریههای ذکر نشده در قرآن
فصل هفدهم: اصول، ارزشها و قوانین حاکم در جنگ و جهاد اسلامی
- اصول، ارزشها و قوانین حاکم در جنگ و جهاد اسلامی
- مقدمه
- محور اول: فرماندهی جنگ، شرایط، ویژگیها و وظایف
- محور دوم: اهداف جهاد اسلامی
- محور سوم: ایمان و اهل ایمان در جهاد اسلامی
- محور چهارم: مجاهدان
- محور پنجم: «فی سبیل الله»
- محور ششم: آمادهباش نظامی
- محور هفتم: امدادهای غیبی در جنگ
- محور هشتم: حفظ ارزشها در جنگ
- محور نهم: نقش مقاومت در جهاد اسلامی
- محور دهم: شرایط، احکام و متفرقات امور جنگی
- محور یازدهم: تدارکات و بودجه نظامی
- محور دوازدهم: شهدا، جانبازان و معلولان
- محور سیزدهم: اسیران جنگی
- محور چهاردهم: غنائم و جزیه
- محور پانزدهم: صلح
- محور شانزدهم: تبلیغات در جهاد اسلامی
- محور هفدهم: اطلاعات و اخبار جنگی
- محور هجدهم: مقابله به مثل
- محور نوزدهم: نماز و جنگ
- محور بیستم: منافقان و جهاد اسلامی
- محور بیستویکم: دشمن
- کتابنامه
- نمایه
- نمایه آیات
- نمایه روایات
مقدمه
جهاد در لغت به معنای تلاش و کوشش همراه با رنج و در اصطلاح دینی نبرد با دشمنان خداست. جهاد یکی از فرایض دینی و از فروع دین است و بر هر کس که عقل و بلوغ و توانایی جسمی داشته باشد، هنگام نیاز واجب است. جهاد، یا بر ضدّ کفّار و مشرکین است، یا بر ضدّ منافقین و متجاوزین داخلی. اولین حکم جهاد، در سال اوّل هجرت پیامبر به مدینه صادر شد. مسلمانانی که در جهاد بر ضدّ کافران شرکت میکردند "مجاهدان" نام داشتند. جهاد باید به فرمان پیشوای عادل باشد، هرگاه که دشمنان اسلام، بر ضدّ مسلمانان و کشور اسلامی هجوم آوردند، دفاع واجب است و این نوع از مبارزه "جهاد دفاعی" نام دارد. کشتهشدگان در جهاد "شهید" محسوب میشوند و جهاد و شهادت مایه عزّت و قدرت اسلام و مسلمانان است و امّتی که از جهاد دست بردارند، زبون و ذلیل میشوند. در آیات قرآن از این فریضه با نام "قتال" هم یاد شده است. جنگهای صدر اسلام نیز عمل به فرمان الهی جهاد با مشرکان و متجاوزان بوده است. جهاد با نفس، اصطلاح دیگری است که در مباحث اخلاقی و مقابله با تمایلات نفسانی و مهار خواستههای دل و شهوات است و پیامبر خدا از آن به عنوان "جهاد اکبر" یاد کرده است[۱].
مقدمه
جهاد از بزرگترین فرایض الهی است که در قرآن کریم و روایات پیشوایان دین بسیار بدان تأکید شده است. طبیعی است آنگاه که امام(ع) متصدی امر حکومت میشود، مرزبانی از مرزهای جامعه اسلامی را بر عهده دارد، و آنگاه که صلاح بداند، برای گسترش اسلام به کشورهایی که حاکمان آنها مانع از رسیدن پیام اسلام میشوند، حمله میکند. براساس تقسیم رایج، جهاد به دو نوع دفاعی و ابتدایی تقسیم میشود. اینک باید دانست که شأن و جایگاه امام در هریک از این دو نوع جهاد چیست؟ به نظر میرسد امام(ع) در جهاد دفاعی، جایگاهی ویژه ندارد؛ چراکه وجوب این جهاد به اذن امام نیست[۲] و عقل آدمی نیز انسان را ملزم میکند تا در برابر هجوم دشمنان از خود دفاع کند. ضمن آنکه در روایات نیز از مشروط بودن مشروعیت جهاد دفاعی به اذن امام سخنی به میان نیامده است.
درباره شأن امام در جهاد ابتدایی و اینکه آیا جهاد ابتدایی (جهاد عليه کافران و مشرکان برای دعوت به اسلام) مشروط به حضور معصوم یا نایب خاص اوست یا خیر، دو نظریه وجود دارد:
- مشهور فقهای شیعه بر این باورند که جهاد ابتدایی، مشروط به حضور معصوم یا نایب خاص اوست؛[۳] تا آنجا که صاحب جواهر ادعای اجماع کرده است؛[۴]
- گروهی دیگر از فقها، بهویژه معاصران، بر این باورند که روایات مورد استناد مشهور، دلالت لازم را ندارند، و ازاینرو شرط حضور معصوم برای وجوب جهاد ابتدایی منتفی میشود.[۵]
روشن است که برای یافتن حقیقت در این مسئله باید روایات معتبر[۶] و مورد استناد بررسی شوند. با ملاحظه مجموع روایات به نظر میرسد برخی روایات بهطور مطلق مشروعیت جهاد را مشروط به حضور و اذن معصوم(ع) دانستهاند. در میان آنها یک روایت صحیح وجود دارد. براساس این روایت، از امام رضا(ع) درباره جهاد با سرزمین قزوین که هممرز با ممالک اسلامی بود و نیز جهاد با سرزمین دیلم که دشمن مسلمانان بود، پرسیده شد؛ امام(ع) بیآنکه پاسخی روشن به پرسش بدهند، فرمودند: "بر شما باد حج خانه خدا"[۷]. آنگاه که برای بار دوم از ایشان پرسیده شد، امام(ع) با تکرار پاسخ پیشین فرمودند: «"أَ مَا يَرْضَى أَحَدُكُمْ أَنْ يَكُونَ فِي بَيْتِهِ يُنْفِقُ عَلَى عِيَالِهِ يَنْتَظِرُ أَمْرَنَا فَإِنْ أَدْرَكَهُ كَانَ كَمَنْ شَهِدَ مَعَ رَسُولِ اللَّهِ ص بَدْراً وَ إِنْ لَمْ يُدْرِكْهُ كَانَ كَمَنْ كَانَ مَعَ قَائِمِنَا فِي فُسْطَاطِهِ هَكَذَا(ع) هَكَذَا فِي فُسْطَاطِهِ"». امام(ع) نظریه عدم مشروعيت جهاد را تأیید کردند.[۸]
دلالت این حدیث بر لزوم اذن امام(ع) اینگونه است که پرسشگر در عصر ائمه جور زندگی میکرده و پرسش وی، از جواز جهاد در چنین برههای از زمان است. اینکه امام بهطور مستقیم پاسخ نمیدهد، اشاره به عدم جواز جهاد در این وضع است. در ادامه نیز که این حکم را تا عصر ظهور امام زمان(ع) استمرار میدهد، دلیل بر آن است که حتی اگر در عصر غیبت امام(ع)، حکومتی حقطلب با پیشوایی عادل نیز تشکیل شود، حکم یادشده پابرجاست. نتیجه آنکه جهاد ابتدایی بدون حضور و اذن معصوم نه تنها واجب نیست، بلکه حرام نیز هست.[۹]
برخی دیگر از روایات نیز از عدم مشروطیت جواز جهاد به حضور و اذن معصوم(ع) خبر دادهاند.
صریحترین روایت دراینباره موثقه سماعه است. سماعه از امام صادق(ع) نقل میکند که عَبّاد بصْری در مسیر مکه، امام سجاد(ع) را دید و به ایشان عرض کرد که شما سختی جهاد را رها کرده، به آسانی حج روی آوردهاید؛ در حالی که خداوند متعال میفرماید: إِنَّ اللَّهَ اشْتَرَى مِنَ الْمُؤْمِنِينَ أَنفُسَهُمْ وَأَمْوَالَهُم بِأَنَّ لَهُمُ الْجَنَّةَ يُقَاتِلُونَ فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَيَقْتُلُونَ وَيُقْتَلُونَ وَعْدًا عَلَيْهِ حَقًّا فِي التَّوْرَاةِ وَالإِنجِيلِ وَالْقُرْآنِ....[۱۰] امام(ع) فرمودند: آیه را تا آخر بخوان که فرمود: التَّائِبُونَ الْعَابِدُونَ الْحَامِدُونَ السَّائِحُونَ الرَّاكِعُونَ السَّاجِدُونَ الآمِرُونَ بِالْمَعْرُوفِ وَالنَّاهُونَ عَنِ الْمُنكَرِ وَالْحَافِظُونَ لِحُدُودِ اللَّهِ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِينَ[۱۱] آنگاه فرمود: «اگر چنین کسانی را یافتیم، جهاد در رکاب آنها از حج برتر است».[۱۲]
در نگاه نخست، ظاهر این حدیث بیان میکند که جهادگران باید متصف به اوصافی ویژه باشند. اما به نظر میرسد چنین شرطی برای جهاد وجود ندارد؛ زیرا ممکن است هیچگاه تمام جهادگران این اوصاف را نداشته باشند. بنابراین، مقصود امام، متصدیان امر جهاد است؛ بدین معنا که مشروعیت جهاد به آن است که متصدیان امر جهاد صفاتی خاص داشته باشند که همگی در عنوان مؤمن حقیقی جمعشدنی است. بنابراین حضور یا اذن امام، شرط مشروعیت جهاد نیست.
در بررسی حدیث اول، میتوان گفت حکم صادرشده در این حدیث میتواند یک حکم موقت و مربوط به دوره زمانی خاصی باشد. شاهد این مدعا آن است که مسئله مرزبانی در سیاق جهاد آمده است و میدانیم که مرزبانی در هر حالتی و هر زمانی لازم است؛ پس روشن است که اگر نسبت به مسئله مرزبانی هم گفته میشود که باید معصوم(ع) حضور داشته باشد یا اذن بدهد، نشانگر این نکته است که بهطور موقت، مصلحت چنین اقتضایی داشته است. بنابراین، حدیث نخست به لحاظ دلالی نمیتواند متوقف بودن جواز دفاع بر حضور یا اذن معصوم(ع) را اثبات کند.[۱۳].
اما به نظر میرسد حدیث دوم به لحاظ دلالی تام بوده، براساس آن، جهاد ابتدایی متوقف بر اذن امام معصوم(ع) نیست؛ مگر آنکه گفته شود امام(ع) در این حدیث به دنبال پاسخ اصلی نیست؛ زیرا سؤالکننده به امامت و عصمت ایشان معتقد نبوده تا امام بخواهد بگوید که جهاد، مشروط به اذن امام معصوم(ع) است.[۱۴] در این صورت باز هم از طریق اصل برائت میتوان گفت جهاد ابتدایی مشروط به اذن معصوم نیست؛ زیرا عملاً دلیلی محکم بر وجوب آن اقامه نشده است، و دلیلی نیز بر تحریم جهاد ابتدایی بدون اذن امام نداریم؛ پس اباحه آن اثبات میشود.[۱۵].
جهاد
به هر کوششی که برای بزرگداشت حق انجام گیرد، جهاد گویند[۱۶]. اگر این کوشش در قالب حرکت نظامی باشد، همان نبردهای دفاعی یا ابتدایی است که مسلمانان برای حفظ دین یا گسترش آن در پیروی از امام و رهبر خویش انجام میدهند. این واژه، اصطلاحی شرعی است که اسلام آن را برای پیکارها به کار برده و بار ارزشی آن آشکار است. پیش از اسلام، از دو واژه برای نبرد استفاده میکردند: غزوه و حرب. واژه شناسان، غزوه را به معنای طلب میدانند؛ چون نبردهای قبیلهها برای غارت و کسب روزی انجام میشد. واژه حرب، اعم از غزوه است و بیشتر درباره جنگهای بزرگ بین حکومتها به کار برده میشود. فرق دیگر این دو واژه، آن است که در غزوه، معمولاً حرکت سپاهیان و حمله آنان ناگهانی بود، ولی در حرب، دو حکومت از لشکرکشی یکدیگر آگاه میشدند. البته عربها واژههای دیگری نیز برای غزوه یا حرب به کار میبردند. برای نمونه، اگر غزوه شب رخ میداد، آن را «البیات» میگفتند.
با توجه به آنچه گذشت، زیبایی واژه جهاد آشکار میشود. در آیهها و روایتها، بیشتر از این واژه استفاده شده است[۱۷].[۱۸]
پانویس
- ↑ محدثی، جواد، فرهنگنامه دینی، ص۷۸.
- ↑ زین الدین بن علی عاملی (شهید ثانی)، مسالک الافهام، ج۳، ص۸؛ محمد حسن نجفی، جواهر الكلام، ج۲۱، ص۱۹
- ↑ برای نمونه، ر.ک: شیخ طوسی، النهاية، ص۲۹۰؛ محمد بن علی بن حمزه طوسی، الوسيلة، ص۱۹۹؛ جعفر بن حسن محقق حلى، نكت النهاية، ج۲، ص۵؛ همو، شرایع الاسلام، ج۱، ص۲۸۰؛ محمد بن منصور بن ادریس حلی، السرائر، ج۲، ص۳ و ۴. برای دیدن دیگر نظریات، ر.ک: محمد مؤمن قمی، کلمات سديدة فی مسائل جديدة، ص۳۲۳-۳۵۷.
- ↑ محمد حسن نجفی، جواهر الكلام، ج۲۱، ص۱۱.
- ↑ برای نمونه، ر.ک: سید ابوالقاسم موسوی خویی، منهاج الصالحین، ج۱، ص۳۶۶؛ جواد تبریزی، منهاج الصالحين، ج۱، ص۳۷۵؛ حسین وحید خراسانی، منهاج الصالحين، ج۲، ص۴۱۲؛ سید علی حسینی خامنهای، اجوبة الاستفتائات، ج۱، ص۱۸۷؛ حسین علی منتظری نجف آبادی، نظام الحكم فی الاسلام، ص۵۹؛ همو، دراسات فی ولاية الفقيه، ج۱، ص۱۲۰-۱۱۸.
- ↑ به دلیل رعایت اختصار، از نقل روایاتی که به لحاظ سندی مخدوشاند، چشمپوشی کردهایم. برای دیدن مجموعه روایات، ر.ک: محمد بن حسن حر عاملی، وسائل الشيعة، ج۱۵، ص۴۴-۵۰. گفتنی است محقق معاصر، آیت الله خویی عمده دلیل کسانی را که به اعتبار اذن معصوم در مشروعیت جهاد قایلاند، تنها دو دلیل میداند که یکی از آنها به لحاظ سندی مخدوش است و دیگری به لحاظ دلالی سید ابوالقاسم موسوی خویی، منهاج الصالحين، ج۱، ص۳۶۵ و ۳۶۶).
- ↑ «"عَلَيْكُمْ بِهَذَا الْبَيْتِ فَحُجُّوه"»
- ↑ محمد بن یعقوب کلینی، الکافی، ج۴، ص۲۶۰ و ج۵، ص۲۲ و ۲۳.
- ↑ برای تفصیل بیشتر، ر.ک: محمد مؤمن قمی، کلمات سديدة فی مسائل جديدة، ص۳۴۰ و ۳۴۱.
- ↑ توبه (۹)، ۱۱۱.
- ↑ توبه (۹)، ۱۱۲.
- ↑ محمد بن یعقوب کلینی، الکافی، ج۵، ص۲۲؛ علی بن ابراهیم قمی، تفسير القمی، ج۱، ص۳۰۶؛ احمد بن علی طبرسی، الاحتجاج، ج۲، ص۳۱۵؛ محمد بن حسن حر عاملی، وسائل الشيعة، ج۱۵، ص۴۶.
- ↑ سیدابوالقاسم موسوی خویی، منهاج الصالحين، ج۱، ص۳۶۵.
- ↑ برخی محققان این ایراد را پاسخ دادهاند. البته به نظر میرسد پاسخ دادهشده وافی به مقصود نیست (محمد مؤمن قمی، کلمات سديدة فی مسائل جديدة، ص۳۴۹ و ۳۵۰).
- ↑ ر. ک. فاریاب، محمد حسین، بررسی انطباق شئون امامت در کلام امامیه بر قرآن و سنت، ص۲۷۶ تا ۲۷۹.
- ↑ جمعی از نویسندگان، دائره المعارف تشیع، ج۵، ص۵۳۲.
- ↑ نک: سوره نساء، آیه ۷۵، ۹۵؛ سوره توبه، آیه ۱۲، ۲۴؛ سوره تحریم، آیه ۹؛ سوره محمد، آیه ۳۱؛ سوره انفال، آیه ۶۵؛ میزان الحکمه، ج۲، صص۸۳۳ - ۸۴۷.
- ↑ غلامی، مهدی، سیره و اخلاق نظامی پیامبر اعظم، ص ۶۱.